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उत्तराखंड में सड़क खोदाई के लिए केवल दो माह का समय, PWD ने किया नई नीति का ड्राफ्ट तैयार

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 2 अग॰
  • 2 मिनट पठन
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राज्य सरकार अब सड़कों की अंधाधुंध और मनमानी खुदाई पर सख्त लगाम लगाने जा रही है। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग (PWD) ने सड़क खोदने के लिए पहली बार एक समन्वित और समयबद्ध नीति तैयार कर ली है। इस नई नीति के तहत वर्ष भर में केवल दो माह का समय निर्धारित होगा, जब कोई भी विभाग बिजली, पानी, सीवर लाइन या दूरसंचार जैसी बुनियादी सेवाओं से संबंधित कार्यों के लिए सड़कों की खुदाई कर सकेगा।


बार-बार खुदाई से बर्बाद हो रहीं हैं नई सड़कें

प्रदेश में आए दिन यह देखने को मिलता है कि किसी क्षेत्र में नई सड़क बनने के कुछ ही समय बाद बिजली विभाग, जल संस्थान, दूरसंचार या गैस लाइन से संबंधित कोई और विभाग उसी सड़क को खोद देता है। नतीजतन, सड़क की गुणवत्ता नष्ट होती है, ट्रैफिक बाधित होता है और आमजन को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।

विशेषकर देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और ऋषिकेश जैसे शहरी क्षेत्रों में यह समस्या गंभीर रूप से देखी गई है। इससे न केवल जनता को असुविधा होती है, बल्कि PWD को करोड़ों रुपये की वित्तीय क्षति भी उठानी पड़ती है।


नीति में क्या होगा खास?

लोक निर्माण विभाग द्वारा तैयार की जा रही इस नीति के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:


साल में केवल दो माह ही सड़क खोदने की अनुमति (विशेष परिस्थितियों को छोड़कर)।


खुदाई से पूर्व अनुमति अनिवार्य, जिसके लिए SOP (Standard Operating Procedure) बनाई जाएगी।


निर्धारित समय सीमा में कार्य पूरा करना होगा, वरना संबंधित विभाग की जवाबदेही तय की जाएगी।


बिना अनुमति सड़क काटने पर जुर्माना व विभागीय कार्रवाई।


सभी निर्माण से जुड़े विभाग जैसे बिजली, जल, दूरसंचार, सीवर आदि को नीति के दायरे में लाया जाएगा।


तकनीक से होगी निगरानी: केंद्र सरकार के एप से होगा समन्वय

नीति लागू होने के बाद राज्य सरकार केंद्र सरकार के एक विशेष एप्लिकेशन से भी जुड़ जाएगी, जिसके माध्यम से सड़क खुदाई से जुड़ी सभी सूचनाएं रियल-टाइम में उपलब्ध रहेंगी। इससे कार्य की मॉनिटरिंग और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी। विभाग इस ऐप के जरिए देख सकेगा कि कहां किस विभाग द्वारा कार्य किया जा रहा है और किस समय तक उसे पूरा करना है।


नीति का प्रारूप तैयार, जल्द आएगा कैबिनेट में

PWD सचिव डॉ. पंकज पांडेय ने बताया कि नीति का ड्राफ्ट (मसौदा) तैयार कर लिया गया है और इसे शीघ्र ही कैबिनेट में अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि नीति का उद्देश्य केवल विभागीय समन्वय बनाना नहीं, बल्कि जनता को बेहतर सड़कों की सुविधा देना है।


जनहित में एक बड़ी पहल

यह नीति राज्य के अधोसंरचना विकास में गुणवत्ता, समन्वय और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद की जा रही है कि इसके लागू होने के बाद सड़कों की बार-बार खुदाई, लंबा ट्रैफिक जाम और वित्तीय नुकसान जैसी समस्याओं में उल्लेखनीय कमी आएगी।

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