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देहरादून को असुरक्षित बताने वाली निजी रिपोर्ट पर विवाद, SSP ने जांच के दिए आदेश

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 4 सित॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 5 सित॰

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देहरादून को देश के शीर्ष 10 सबसे असुरक्षित शहरों में शामिल बताने वाली एक निजी सर्वे एजेंसी की रिपोर्ट को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने एसपी ऋषिकेश को जांच सौंपी है। जांच की जिम्मेदारी मिलने के बाद एसपी ने सर्वे एजेंसी ‘पी वैल्यू एनालिटिक्स’ के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक प्रहलाद राउत को नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर तथ्यों और आंकड़ों सहित जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।


रिपोर्ट से उपजा भ्रम और चिंता का माहौल

एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि निजी संस्था द्वारा जारी की गई सर्वे रिपोर्ट में देहरादून को महिलाओं के लिए देश के 10 सबसे असुरक्षित शहरों में बताया गया है। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही शहर में महिलाओं, युवतियों और अभिभावकों के बीच चिंता और भ्रम का माहौल उत्पन्न हो गया है।


एसएसपी के अनुसार, रिपोर्ट में दर्शाए गए अपराध संबंधित आंकड़े न तो विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित हैं और न ही यह आंकड़े पुलिस या सरकारी आंकड़ों से मेल खाते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता को गुमराह करने वाली ऐसी रिपोर्टें न केवल भय का वातावरण पैदा करती हैं, बल्कि प्रशासन की छवि को भी धूमिल करती हैं।


तीन दिन में मांगा तथ्यात्मक स्पष्टीकरण

जांच अधिकारी एसपी ऋषिकेश ने संस्थान के निदेशक प्रहलाद राउत को औपचारिक नोटिस जारी करते हुए कहा है कि संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट के सभी स्रोतों, सर्वे की पद्धति, आंकड़ों की वैधता और निष्कर्षों के संबंध में स्पष्ट विवरण तीन कार्यदिवस के भीतर प्रस्तुत किया जाए।


यदि संस्था द्वारा तथ्यात्मक और प्रमाणित जानकारी प्रस्तुत नहीं की जाती है, तो प्रशासन कानूनी कार्रवाई करने पर भी विचार कर सकता है।


आगे की कार्रवाई रिपोर्ट के परीक्षण पर निर्भर

एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति या संस्था भ्रामक और तथ्यहीन जानकारी के माध्यम से जनता को भयभीत न कर सके। रिपोर्ट की गहन जांच और तथ्यों के परीक्षण के पश्चात ही आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी।


यह मामला एक बार फिर दर्शाता है कि सार्वजनिक हित से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते समय तथ्यों की सत्यता अत्यंत आवश्यक है। महिला सुरक्षा जैसे विषयों पर गैर-जिम्मेदाराना दावे न केवल समाज में भय का माहौल उत्पन्न करते हैं, बल्कि वे प्रशासनिक तंत्र और आम नागरिकों के बीच अविश्वास भी बढ़ाते हैं।

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