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परमार्थ निकेतन प्लास्टिक मुक्त कांवड़ यात्रा का दे रहे संदेश, बांटे कपड़े के थैले

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 21 जुल॰
  • 2 मिनट पठन
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ऋषिकेश: सावन के पावन अवसर पर परमानंद निकेतन में अनूठी पहल देखने को मिली, जहां कांवड़ यात्रा पर निकले शिवभक्तों को प्लास्टिक मुक्त यात्रा के लिए प्रेरित किया गया। निकेतन के प्रतिनिधियों ने श्रद्धालुओं से सीधे संवाद कर उन्हें ‘बोल बम, बोल बम – कचरा कर दो जड़ से खत्म’ का संकल्प दिलवाया और साथ ही कपड़े से बने थैले भी भेंट किए।


यह पहल स्वच्छ भारत मिशन और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से की गई थी, जिससे ना केवल धार्मिक यात्रा की पवित्रता बनी रहे, बल्कि गंगा घाटों और आसपास के क्षेत्रों को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त किया जा सके।


'शिवभक्ति तभी सार्थक है जब हम शिव की सृष्टि का सम्मान करें"

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने शिवभक्तों से कहा कि "सच्ची शिवभक्ति वही है, जिसमें हम न केवल शिवलिंग पर जल अर्पित करें, बल्कि प्रकृति को भी नमन करें, क्योंकि यही शिव की सृष्टि है। अगर हम गंगा को प्लास्टिक कचरे से दूषित करते हैं, तो यह शिवभक्ति नहीं, बल्कि उनके बनाए संसार का अपमान है।"


कपड़े के थैलों के माध्यम से प्लास्टिक से मुक्ति का संदेश

शिवभक्तों को दिए गए कपड़े के थैलों पर पर्यावरण-संदेश और स्वच्छता को लेकर प्रेरणादायक नारे अंकित थे। यह थैले उन्हें यात्रा के दौरान प्लास्टिक की थैलियों के स्थान पर उपयोग करने हेतु दिए गए।


यात्रा में श्रद्धा के साथ स्वच्छता का भी संकल्प

परमानंद निकेतन की इस पहल को शिवभक्तों ने हाथोंहाथ स्वीकार किया और यात्रा के दौरान प्लास्टिक का उपयोग न करने का वचन लिया। आयोजकों का कहना है कि इस तरह की पहलें सिर्फ सफाई ही नहीं, आध्यात्मिक यात्रा को भी अधिक अर्थपूर्ण बनाती हैं।


परमानंद निकेतन द्वारा शुरू की गई यह मुहिम यह बताती है कि धार्मिक आस्था और पर्यावरण सरंक्षण साथ चल सकते हैं। यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणास्पद संदेश है, बल्कि समाज को यह भी दिखाता है कि कैसे हर धार्मिक आयोजन एक पर्यावरण-अनुकूल परंपरा में बदला जा सकता है।

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