माँ के आँचल के लिए तरसती नन्ही जान, क्या था कसूर मेरा
- ANH News
- 26 जुल॰
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माँ के आँचल के लिए तरसती नन्ही जान, कैसी निर्दयी माँ फेंक दिया झाड़ियों में
एक बार भी नहीं कांपे हाथ, कैसी थी तुम माँ
क्या कसूर था मेरा, किस गलती पर मिली मुझे ये सजा
कितनी देर में मिटटी से सना रहा, कितनी चींटियों ने नोंचा मुझे
तुम्हारी गोद से बड़ा नहीं है ये दर्द
ये तो फिर भी सहन कर गया मैं पर...
अब जीवन में तेरी गोद के लिए तरसूंगा
कितना बड़ा दुःख झेलना है मुझे
क्यों इस तकलीफभरी दुनिया में मुझे लायी हो
ये दर्द तो कुछ न था माँ, बस तुम पास होती
तो सब दर्द छोटा था मेरा...
क्यों किया ऐसा तुमने माँ?





