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Pithoragarh: क्यों बदला गया 'खूनी' गांव का नाम? जानिए अब क्या है नई पहचान?

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 19 अग॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 20 अग॰

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पिथौरागढ़। प्रदेश के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित चर्चित गांव ‘खूनी’ अब अपने पुराने नाम से नहीं जाना जाएगा। उत्तराखंड सरकार ने जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इस गांव का नाम बदलकर अब ‘देवीग्राम’ रखने की अधिसूचना जारी कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने यह निर्णय उस समय लिया जब लंबे समय से गांववासी इस नाम को लेकर सामाजिक और सांस्कृतिक असहजता महसूस कर रहे थे।


जनआस्था और लोकभावनाओं को मिला स्वर-

राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि:“जनभावनाओं के दृष्टिगत, पिथौरागढ़ जनपद की तहसील थल के अंतर्गत स्थित ग्राम ‘खूनी’ का नाम परिवर्तित कर ‘देवीग्राम’ किया जाना आवश्यक है।”


गौरतलब है कि ‘खूनी’ नाम, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘हत्यारा’ होता है, न केवल स्थानीय निवासियों के लिए बल्कि बाहर से आने वाले लोगों के लिए भी नकारात्मक बोध का कारण बना हुआ था। वर्षों से ग्रामीण इस नाम को बदलने की मांग कर रहे थे।


सांसद अजय टम्टा ने जताई खुशी, बताया 'ऐतिहासिक क्षण'


अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा सीट से सांसद अजय टम्टा ने नाम परिवर्तन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा:


“यह केवल एक नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय जनभावनाओं का सम्मान है। स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद अब 'खूनी' गांव को 'देवीग्राम' के नाम से पहचाना जाएगा।”


उन्होंने बताया कि इस विषय पर ग्रामवासियों, विशेष रूप से युवाओं और सामाजिक संगठनों ने उनसे लगातार संपर्क किया और नाम परिवर्तन की पुरज़ोर मांग की। इसके बाद उन्होंने स्वयं इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से समन्वय स्थापित किया।


छह मंत्रालयों से मंज़ूरी के बाद संभव हुआ बदलाव-

सांसद टम्टा ने बताया कि नाम परिवर्तन की प्रक्रिया को पूर्ण कराने में एक वर्ष से अधिक का समय लगा। इस दौरान भारत सरकार के छह अलग-अलग मंत्रालयों से अनुमोदन प्राप्त किया गया। उन्होंने इसके लिए विशेष रूप से गृह मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया।


नाम बदलने की वजहें: सामाजिक असहजता और सांस्कृतिक असंगति-

‘खूनी’ जैसे नकारात्मक अर्थ वाले नाम से गांव की पहचान वर्षों से एक कलंक समान बनी हुई थी। न सिर्फ बाहरी लोगों के बीच उपहास का विषय बनता था, बल्कि बच्चों और युवाओं को भी अपने पते में यह नाम लिखते समय अजीब स्थिति का सामना करना पड़ता था।


वर्तमान में ‘देवीग्राम’ नाम गांव की सांस्कृतिक आस्था, धार्मिक भावनाओं और स्थानीय परंपरा को बेहतर रूप में अभिव्यक्त करता है। यह नाम शुद्धता, श्रद्धा और सकारात्मकता का प्रतीक माना जा रहा है।


ग्रामवासियों की वर्षों पुरानी मांग हुई पूरी-

गांव के बुज़ुर्गों से लेकर युवाओं तक, सभी के लिए यह निर्णय गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक है। गांव के लोगों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब वे गर्व से अपने गांव का नाम ले सकेंगे। देवीग्राम नाम से उन्हें आत्मगौरव और सामाजिक स्वीकार्यता दोनों मिल रही है।


‘खूनी’ से ‘देवीग्राम’ तक की यह यात्रा केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत है। यह निर्णय दर्शाता है कि लोकतंत्र में जनभावनाओं का सम्मान सर्वोपरि है और सरकारें जब उन्हें सुनती हैं, तो सामाजिक बदलाव संभव होता है।

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