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प्रधानमंत्री जनधन योजना के 11 साल: 56 करोड़ खाते, ₹2.68 लाख करोड़ जमा

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 2 सित॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 3 सित॰


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प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) ने अपनी 11वीं वर्षगांठ के साथ एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है। वित्तीय समावेशन को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई इस महत्वाकांक्षी योजना ने अब तक 56 करोड़ से अधिक बैंक खातों के साथ नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। इन खातों में कुल ₹2.68 लाख करोड़ से अधिक की राशि जमा है- यह न केवल योजना की व्यापकता को दर्शाता है, बल्कि देश की आर्थिक संरचना में आम नागरिक की भागीदारी भी प्रमाणित करता है।


देश में कहां सबसे अधिक खाते खुले?

देशभर में सबसे अधिक जनधन खाते उत्तर प्रदेश में खोले गए हैं।

उत्तर प्रदेश: 10.01 करोड़ खाते, ₹54,508 करोड़ जमा

बिहार: 6.50 करोड़ खाते, ₹25,733 करोड़ जमा

पश्चिम बंगाल: 5.44 करोड़ खाते, ₹25,794 करोड़ जमा


इन राज्यों ने न केवल खातों की संख्या में, बल्कि जमा राशि के मामले में भी अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। यह दर्शाता है कि बड़े और घनी आबादी वाले राज्यों में वित्तीय पहुंच कितनी तेज़ी से गहराई है।


पिछड़े राज्यों की स्थिति कैसी रही?

जहां एक ओर कई राज्य वित्तीय समावेशन की दौड़ में अग्रणी रहे, वहीं कुछ राज्य अभी भी इस अभियान में पिछड़े हुए हैं:

लक्षद्वीप: केवल 10,218 खाते, ₹18 करोड़ जमा

लद्दाख: 19,316 खाते, ₹25 करोड़ जमा

सिक्किम: 98,762 खाते, ₹53.89 करोड़ जमा


इन क्षेत्रों की भौगोलिक और जनसंख्या सीमाएं इन आंकड़ों की वजह हो सकती हैं, लेकिन यह भी दर्शाता है कि अभी और प्रयासों की आवश्यकता है।


पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड का परचम

जनधन योजना के तहत पहाड़ी और सीमावर्ती राज्यों में भी उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है, खासतौर पर उत्तराखंड ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है:

उत्तराखंड: 39.32 लाख खाते, ₹2,686 करोड़ जमा

हिमाचल प्रदेश: 20.17 लाख खाते, ₹1,475 करोड़ जमा

जम्मू-कश्मीर: 22.47 लाख खाते, ₹1,679 करोड़ जमा

अरुणाचल प्रदेश: 4.73 लाख खाते, ₹262 करोड़ जमा

मणिपुर: 10.86 लाख खाते, ₹294 करोड़ जमा


इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि कठिन भूगोल और सीमित संसाधनों के बावजूद भी पहाड़ी राज्यों में जनधन योजना की पहुंच बनी है।


ग्रामीण भारत बना योजना की रीढ़

रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री जनधन योजना की सबसे बड़ी सफलता रही है इसकी ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में गहरी पैठ:

ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र: 37.51 करोड़ खाते

शहरी और मेट्रो क्षेत्र: 18.69 करोड़ खाते


इससे साफ है कि यह योजना ग्रामीण भारत के लिए वित्तीय आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई है।


जनधन योजना: एक क्रांतिकारी पहल

2014 में शुरू हुई यह योजना केवल एक बैंक खाता खोलने तक सीमित नहीं रही। इसके जरिए करोड़ों लोगों को डिजिटल बैंकिंग, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), बीमा सुरक्षा, और पेंशन योजनाओं से जोड़कर एक सशक्त वित्तीय ढांचा प्रदान किया गया।


मुख्य उपलब्धियां:

56 करोड़ से अधिक खाते

₹2.68 लाख करोड़ से अधिक की जमा राशि

80% से अधिक खातों में सक्रिय लेनदेन

महिलाओं और गरीब वर्गों की भागीदारी में अभूतपूर्व वृद्धि


प्रधानमंत्री जनधन योजना ने पिछले 11 वर्षों में न केवल आर्थिक समानता की नींव रखी है, बल्कि यह भी सिद्ध किया है कि यदि नीति और कार्यान्वयन में समन्वय हो, तो हर नागरिक को वित्तीय प्रणाली का हिस्सा बनाया जा सकता है। आगे चलकर, इस योजना को और अधिक मजबूत बनाते हुए वित्तीय साक्षरता, क्रेडिट एक्सेस, और डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को और गहराई देने की आवश्यकता होगी।

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