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देवभूमि आत्मनिर्भर भारत की धड़कन है...प्रधानमंत्री मोदी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 3 घंटे पहले
  • 3 मिनट पठन
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उत्तराखंड के राज्य स्थापना दिवस के रजत जयंती समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) के ऐतिहासिक मैदान में आयोजित भव्य कार्यक्रम में भाग लिया। यह आयोजन उत्तराखंड के विकास और गौरवशाली 25 वर्षों की उपलब्धियों का प्रतीक बना। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर राज्य को 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की सौगात दी, जिससे प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, पर्यटन, कृषि, ऊर्जा और सामाजिक विकास को नई दिशा और गति मिलने की उम्मीद है।


समारोह की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड की जनता को उनकी रजत जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और राज्य आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि “आज का दिन गर्व का है। जिन्हें उत्तराखंड की देवभूमि से प्रेम है, जिनका दिल इस धरती से जुड़ा है, उनका मन आज प्रफुल्लित है।”


पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत गढ़वाली भाषा में की- “दीदी भुल्यों, दाणा सयाणों, आप सभी तैं म्यार नमस्कार।” उनके इस भावनात्मक अभिवादन से कार्यक्रम स्थल में मौजूद हजारों लोगों में जोश और उत्साह की लहर दौड़ गई। उन्होंने कहा कि जब उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था, तब संसाधन सीमित थे, बजट छोटा था, लेकिन आज राज्य ने हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने बताया कि 25 साल पहले उत्तराखंड का बजट जहां मात्र 4,000 करोड़ रुपये था, वहीं अब यह बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है- यह उत्तराखंड की जनता के परिश्रम और संकल्प का परिणाम है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड ने पर्यटन, तीर्थाटन, और प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास किया है। श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिली है। उन्होंने उत्तराखंड के युवाओं और उद्यमियों की सराहना करते हुए कहा कि “हर युवा, हर उद्यमी आज गर्व से कह रहा है- मेरा उत्तराखंड विकास कर रहा है।”


अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने आने वाले वर्षों के लिए एक नई दृष्टि प्रस्तुत करते हुए कहा कि अब उत्तराखंड को अगले 25 वर्षों के लक्ष्य तय करने चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर राज्य ठान ले, तो वह देश की आध्यात्मिक राजधानी बन सकता है। हर विधानसभा क्षेत्र में एक छोटा-सा पर्यटन केंद्र विकसित किया जा सकता है, जहां उत्तराखंड की संस्कृति, व्यंजन और स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन हो। उन्होंने कहा कि राज्य की समृद्ध परंपरा और प्राकृतिक संसाधन ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है- अब जरूरत है इन्हें संगठित रूप में आगे बढ़ाने की।


कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं में पेयजल, सिंचाई, तकनीकी शिक्षा, ऊर्जा, शहरी विकास, खेल और कौशल विकास से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने देहरादून जलापूर्ति कवरेज के तहत अमृत योजना, पिथौरागढ़ में विद्युत सबस्टेशन, सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा संयंत्र और हल्द्वानी स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान जैसी परियोजनाओं का उद्घाटन किया।


उन्होंने साथ ही दो प्रमुख पेयजल परियोजनाओं- देहरादून में सौंग बांध पेयजल परियोजना और नैनीताल में जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना का शिलान्यास किया। इसके अलावा चंपावत में महिला खेल महाविद्यालय की स्थापना तथा नैनीताल में अत्याधुनिक डेयरी संयंत्र की आधारशिला भी रखी गई।


प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राज्य के 28,000 से अधिक किसानों के खातों में 62 करोड़ रुपये की सहायता राशि भी जारी की। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक आर्थिक मदद नहीं, बल्कि किसानों के आत्मविश्वास को मज़बूत करने की दिशा में एक कदम है।


प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड को “देवभूमि” बताते हुए कहा कि यह राज्य आध्यात्मिकता और विकास का संगम है। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड आत्मनिर्भर भारत की भावना को जी रहा है, और आने वाले दशक में यह राज्य पूरे भारत के लिए एक प्रेरणास्रोत बनेगा।


प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम के अंत में कहा कि “उत्तराखंड की जनता का यह संकल्प, यह ऊर्जा और यह आत्मविश्वास ही राज्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। मैं विश्वास दिलाता हूं कि भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य में उत्तराखंड अग्रणी भूमिका निभाएगा।”


देहरादून के एफआरआई मैदान में पारंपरिक वाद्य यंत्रों, लोकनृत्यों और हजारों लोगों की उपस्थिति में हुआ यह समारोह उत्तराखंड की पहचान, परिश्रम और प्रगति का भव्य प्रतीक बन गया- एक ऐसा पल जिसने अतीत की संघर्षगाथा और भविष्य की संभावनाओं, दोनों को एक साथ जोड़ दिया।

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