अतिक्रमण मुक्त भूमि, कड़े कानून और निवेश के साथ उत्तराखंड की विकास कहानी
- ANH News
- 6 घंटे पहले
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उत्तराखंड, जिसकी हिमाच्छादित उच्च हिमालयी श्रृंखलाएं, सदानीरा नदियां, हरे-भरे बुग्याल, फूलों की घाटियां और अकूत वन संपदा इसे प्राकृतिक सौंदर्य का अनमोल खजाना बनाते हैं, 25 वर्षों में अपनी विकास यात्रा में एक नया मुकाम हासिल कर चुका है। मैदानों से लेकर पर्वत श्रृंखलाओं तक फैले इस राज्य ने अपने सीमित संसाधनों और छोटे आकार के बावजूद अब अपनी रजत जयंती मना रही है।
राज्य के विकास में केंद्र की मदद का योगदान हमेशा निर्णायक रहा है। उत्तराखंड ने तब सबसे अधिक लाभ तब उठाया जब इसे राजनीतिक स्थिरता का साथ मिला। शुरुआती वर्षों में केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के औद्योगिक पैकेज और विशेष राज्य के दर्जे ने राज्य की मजबूत आधारशिला रखी। वहीं, पांच वर्षों तक चलने वाली कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार ने भी विकास की नींव मजबूत करने में अपनी भूमिका निभाई। वर्तमान में राज्य में लागू कड़े कानून, जैसे समान नागरिक संहिता, नकलरोधी कानून और मतांतरण रोकने वाले कानून, राज्य की स्थिर राजनीतिक संरचना की सफलता का प्रमाण हैं।
उत्तराखंड की 25 वर्षों की यात्रा यह स्पष्ट करती है कि केंद्र से मिलने वाली वित्तीय सहायता और सत्ताधारी दलों के केंद्रीय नेतृत्व का प्रभाव राज्य के विकास और जन आकांक्षाओं को आकार देने में निर्णायक रहा है। विशेष दर्जा प्राप्त राज्य होने के कारण उत्तराखंड अन्य राज्यों की तुलना में केंद्रपोषित योजनाओं में अधिक लाभ उठा रहा है। 15वें वित्त आयोग के राजस्व घाटा अनुदान ने राज्य को बार-बार ऋण लेने की जरूरत से राहत दी और विकास योजनाओं को गति दी।
केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजनाएं जैसे चारधाम आलवेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन, केदारनाथ व हेमकुंड साहिब रोपवे, सीमांत क्षेत्रों में पर्वतमाला और बेहतर हवाई कनेक्टिविटी, राज्य के विकास के लिए गेमचेंजर साबित हो रही हैं। इन परियोजनाओं के कारण उत्तराखंड की आकांक्षाएं और राजनीतिक स्थिरता दोनों मजबूत हुई हैं। डबल इंजन की सरकार ने जब भी केंद्र का सहयोग पाया, राज्य ने उसका लाभ स्थिरता और विकास के रूप में उठाया।
राज्य में सरकारी भूमि, विशेष रूप से वन भूमि पर बढ़ते अतिक्रमण को रोकने के लिए अभियान चलाया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक संरचनाओं के रूप में किए गए अतिक्रमण को हटाने में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। अब तक नौ हजार एकड़ भूमि अतिक्रमण मुक्त कराई जा चुकी है। मतांतरण को रोकने के लिए कड़े कानून लागू किए गए हैं, वहीं नकलरोधी कानून ने युवाओं में भर्ती परीक्षाओं के प्रति विश्वास बढ़ाया है। महिलाओं के सरकारी भर्तियों में 30 प्रतिशत आरक्षण और राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण जैसी पहलें भी लागू की गई हैं।
भाजपा हाईकमान ने राज्य में स्थिरता बनाए रखने और विकास को गति देने के लिए हमेशा सहयोग दिया है। सख्त भू-कानूनों ने अवैध भूमि लेनदेन पर अंकुश लगाया और निवेशकों के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार किया। निवेशक सम्मेलन के माध्यम से 90 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारा जा चुका है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उत्तराखंड ने अपने 25 वर्षों की यात्रा में अनेक उतार-चढ़ावों का सफलतापूर्वक सामना किया है। उन्होंने यह भरोसा जताया कि प्रदेश की सवा करोड़ जनता के सहयोग से आने वाले वर्षों में उत्तराखंड देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनने के संकल्प को अवश्य पूरा करेगा।
उत्तराखंड की यह यात्रा यह साबित करती है कि प्राकृतिक सौंदर्य, राजनीतिक स्थिरता, केंद्र की सहायता और सशक्त नेतृत्व मिलकर ही राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।





