पुलिस केवल वर्दीधारी ही नहीं, बल्कि मातृभूमि के सच्चे सिपाही हैं: स्वामी चिदानंद
- ANH News
- 23 अक्टू॰
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ऋषिकेश: पुलिस स्मरण दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें देशभक्त और बलिदानी पुलिसकर्मियों को सम्मानित करते हुए उनकी शहादत को याद किया गया। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने अपने सशक्त उद्बोधन में उन पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और कर्तव्यनिष्ठा से भारत माता की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने विशेष रूप से 1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में शहीद हुए वीर पुलिसकर्मियों की वीरगाथा को याद किया। उन्होंने कहा कि उस कठिन समय में जब सीमाओं पर संकट और खतरा चरम पर था, हमारे पुलिसकर्मियों ने न केवल अपनी जान की परवाह नहीं की, बल्कि मातृभूमि की रक्षा के लिए निडरता और देशभक्ति का परिचय देते हुए अद्वितीय साहस का परिचय दिया। यह घटना हमारे राष्ट्र के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित है और हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।
स्वामी जी ने कहा कि पुलिसकर्मी केवल वेतन के लिए नहीं, बल्कि अपने वतन की सुरक्षा के लिए समर्पित होते हैं। उनकी हर चुनौती, हर जोखिम और हर कठिनाई देशभक्ति का जीता-जागता उदाहरण है। वे केवल एक वर्दीधारी कर्मचारी नहीं, बल्कि मातृभूमि के सच्चे सिपाही हैं जिनका हर सांस राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित है। उनके लिए नौकरी नहीं, बल्कि कर्तव्य पूजा का रूप है और राष्ट्रसेवा ही उनका सर्वोच्च धर्म है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिसकर्मी हमारे समाज के शांति के प्रहरी, व्यवस्था के रक्षक और नागरिकों के विश्वास का प्रतीक हैं। उनका अनुशासन, उनका साहस और उनका त्याग राष्ट्र की रीढ़ हैं। हर ड्यूटी और हर चुनौती के बीच वे केवल एक संकल्प के साथ खड़े रहते हैं – "राष्ट्र पहले, स्वयं बाद में।" यही त्याग और समर्पण हमारे समाज को सुरक्षित, सशक्त और सम्मानित बनाता है।
इस अवसर पर उपस्थित सभी ने शहीदों को नमन करते हुए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और उनके साहस को हमेशा याद रखने का संकल्प लिया।





