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महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को पुलिस ने दी श्रद्धांजलि, अहिंसा व सेवा का लिया संकल्प

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 4 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के पावन अवसर पर आज दिनांक 2 अक्टूबर 2025 को जनपद देहरादून में एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिले के समस्त थानों, चौकियों, कार्यालयों तथा पुलिस लाइन में इन दोनों महापुरुषों के चित्रों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।


पुलिस लाइन देहरादून में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून ने स्वयं महात्मा गांधी और शास्त्री जी के चित्रों पर माल्यार्पण कर उन्हें कृतज्ञता पूर्वक श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर एसएसपी ने उपस्थित अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी जी और शास्त्री जी का जीवन सत्य, अहिंसा, सादगी, अनुशासन और जनसेवा जैसे मूल्यों की प्रतिमूर्ति रहा है। उनके सिद्धांत आज भी समाज और राष्ट्र निर्माण में प्रेरणास्त्रोत हैं।

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एसएसपी द्वारा पुलिसकर्मियों को प्रेरित करते हुए उन्हें अपने कर्तव्यों के निर्वहन में निरपेक्षता, अहिंसा, सहिष्णुता और निष्पक्षता को सर्वोपरि रखने की सीख दी गई। उन्होंने बल के समक्ष यह संकल्प दोहराया कि वे बिना किसी भेदभाव, पक्षपात या हिंसा के, पूरी निष्ठा और सेवा भाव से कानून व्यवस्था बनाए रखने के अपने दायित्वों का पालन करेंगे। सभी धर्मों, समुदायों और नागरिकों के प्रति समान सम्मान रखते हुए, विश्व में शांति, सौहार्द और एकता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के साथ शपथ भी दिलाई गई।


कार्यक्रम के दौरान एकता दिवस की शपथ भी सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को दिलाई गई, जिसमें सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पुलिस लाइन में कार्यरत पर्यावरण मित्रों को ट्रैकसूट वितरित कर उनका मनोबल भी बढ़ाया गया। यह पहल पुलिस विभाग की मानवता और समावेशी दृष्टिकोण का प्रतीक रही।


समारोह में उपस्थित सभी पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारीगणों ने भी दोनों महापुरुषों के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उनके विचारों को आत्मसात करने की प्रेरणा ली। संपूर्ण आयोजन अनुशासन, सादगी और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ, जिसने पुलिस बल को न केवल नैतिक बल प्रदान किया, बल्कि सेवा और कर्तव्य के मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी।

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