क्या काउंटर मशीन से नाम जप करना उचित है? प्रेमानंद महाराज ने दिया सुंदर जवाब
- ANH News
- 2 घंटे पहले
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प्रेमानंद महाराज के एक हालिया प्रवचन में एक भक्त ने जिज्ञासावश उनसे प्रश्न किया कि “क्या जो लाभ माला से नाम जप करने में मिलता है, वही लाभ काउंटर मशीन से जप करने पर भी प्राप्त होता है?” भक्त का यह प्रश्न आज के समय में बहुतों के मन में उठता है, क्योंकि तेज़ जीवनशैली में लोग सुविधा के लिए माला की जगह डिजिटल काउंटर का उपयोग करने लगे हैं।
महाराज जी ने अत्यंत सरल और गूढ़ भाव से इसका उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि नाम जप का वास्तविक लाभ उस उपकरण से नहीं मिलता जिससे आप गिनती रखते हैं, बल्कि उस भावना से मिलता है जिससे आप भगवान का नाम जप करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि “नाम जप आपकी जिह्वा करती है, काउंटर नहीं। काउंटर या माला तो केवल गिनती का साधन है।”
महाराज जी ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश माला का उपयोग नहीं कर सकता- जैसे कार्यस्थल पर, यात्रा में, या सार्वजनिक स्थान पर- तो काउंटर मशीन का प्रयोग करने में कोई हानि नहीं है। मूल उद्देश्य है- नाम जप में निरंतरता बनाए रखना और श्रद्धा से भगवान के नाम का स्मरण करना।
उन्होंने यह भी कहा कि न तो माला और न ही काउंटर अपने आप में कल्याणकारी हैं; कल्याण तो तभी होता है जब व्यक्ति सच्चे मन से नाम जप करता है। माला या काउंटर केवल सहायक साधन हैं, जो हमें यह ज्ञात कराते हैं कि हमने कितना नाम स्मरण किया है।
महाराज जी ने तुलसी की माला के विशेष आध्यात्मिक महत्व का भी उल्लेख किया। शास्त्रों के अनुसार माला जप के अपने नियम होते हैं- जैसे कि एक माला में 108 बार मंत्र जप करना और उसे निरंतर जारी रखना। परंतु उन्होंने समझाया कि काउंटर मशीन के उपयोग में यह बाध्यता नहीं होती। यदि कोई व्यक्ति ऑफिस में या किसी कार्य के बीच थोड़े समय के लिए भी नाम जप करना चाहता है, तो वह दस बार जप करके भी रुक सकता है और बाद में पुनः वहीं से आरंभ कर सकता है।
अंत में प्रेमानंद महाराज ने भक्तों को प्रेरित करते हुए कहा कि “नाम जप किसी भी रूप में करें, पर करें अवश्य।” यदि अवसर और परिस्थितियाँ अनुकूल हों तो माला जप करें, क्योंकि उसका अपना एक पवित्र महत्व है। लेकिन यदि ऐसा संभव न हो, तो काउंटर मशीन का उपयोग करते हुए भी निरंतर नाम स्मरण करते रहें-यही सच्चा भजन है, यही साधना का सार है।





