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उत्तराखंड की बेटी प्रीतिका बनीं देश की शान, राष्ट्रपति भवन में मिला एनएसएस सम्मान

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 9 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड के चमोली जिले की होनहार बेटी प्रीतिका रावत को उनके सामाजिक सरोकारों और सेवा कार्यों के लिए देश के प्रतिष्ठित "मेरा भारत - राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) पुरस्कार" से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें स्वयंसेवक श्रेणी में प्राप्त हुआ है, जो देशभर के उन युवाओं को दिया जाता है जिन्होंने सामाजिक परिवर्तन की दिशा में अनुकरणीय योगदान दिया हो। यह सम्मान उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान प्रदान किया गया। यह अवसर न केवल प्रीतिका के लिए, बल्कि उनके परिवार, विश्वविद्यालय और पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण रहा।


प्रीतिका वर्तमान में दिल्ली स्थित नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (NSUT) की एनएसएस इकाई से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने अपने सामाजिक कार्यों में महिला सशक्तीकरण, सामुदायिक स्वास्थ्य, स्वच्छता अभियान, बाल शिक्षा, युवाओं की भागीदारी और पर्यावरण संरक्षण जैसे विविध और अत्यंत आवश्यक क्षेत्रों पर केंद्रित रहकर उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उनके प्रयासों से न केवल स्थानीय समुदायों में जागरूकता बढ़ी, बल्कि व्यवहारिक स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन भी देखने को मिला।


उनकी पहलें केवल औपचारिक गतिविधियों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने स्वयं समाज के भीतर जाकर जमीनी समस्याओं को समझा, और उन्हें सुलझाने की दिशा में सार्थक प्रयास किए। उन्होंने एनएसएस के मूल मंत्र "स्वयं से पहले आप" को अपने कार्यों और दृष्टिकोण के माध्यम से वास्तविक रूप में साकार किया। यही कारण है कि पुरस्कार समारोह में उनके नेतृत्व, प्रतिबद्धता और समर्पण की सराहना की गई।


पुरस्कार प्राप्त करने के बाद प्रीतिका ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह पल उनके जीवन का अविस्मरणीय क्षण है। उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कहा कि यह पुरस्कार केवल उनका व्यक्तिगत सम्मान नहीं है, बल्कि उन सभी स्वयंसेवकों की सामूहिक पहचान है, जो नि:स्वार्थ भाव से समाज के उत्थान और सेवा में लगे हुए हैं। उन्होंने यह भी आशा जताई कि यह उपलब्धि देश के अन्य युवाओं को भी प्रेरित करेगी, ताकि वे भी सेवा, समर्पण और सकारात्मक बदलाव के मार्ग पर आगे बढ़ें।


प्रीतिका ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने मार्गदर्शक और विश्वविद्यालय के एनएसएस कोऑर्डिनेटर डॉ. प्रवीण सरोहा को भी दिया। उन्होंने बताया कि डॉ. सरोहा के निरंतर मार्गदर्शन, समर्थन और प्रेरणा के बिना यह सफलता संभव नहीं थी। उनका सहयोग न केवल प्रेरणादायक रहा, बल्कि उन्होंने हर कदम पर प्रीतिका का मनोबल बढ़ाया।


इस सम्मानजनक उपलब्धि पर प्रीतिका के माता-पिता, बख्तावर सिंह रावत और बूदी रावत, ने अत्यंत गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी बेटी की इस उपलब्धि ने न केवल परिवार का नाम रोशन किया है, बल्कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य की प्रतिभा और संस्कारों को भी देश के सामने उजागर किया है। उन्होंने यह कामना की कि प्रीतिका का यह सफर आगे भी इसी तरह समाज सेवा और जनकल्याण की दिशा में प्रेरणादायक बना रहे।


प्रीतिका रावत की यह उपलब्धि आज के समय में युवाओं के लिए एक जीवंत उदाहरण बनकर उभरी है, जो यह दर्शाती है कि जब युवा वर्ग अपनी ऊर्जा, शिक्षा और संवेदनशीलता को सामाजिक हित में लगाता है, तो वह समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की शक्ति रखता है। उनका यह समर्पण भाव और सेवा का दृष्टिकोण निश्चित ही देशभर के युवाओं को प्रेरित करेगा कि वे भी समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें और एक सशक्त, समावेशी और जागरूक भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।

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