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सुप्रीम कोर्ट ने शर्त और सख्त चेतावनी के साथ कुत्तों की रिहाई को दी मंजूरी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 22 अग॰
  • 3 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 23 अग॰

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नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों से जुड़ी नीतियों पर शुक्रवार को एक अहम आदेश पारित किया है। अदालत ने 11 अगस्त को दिए गए उस निर्देश में संशोधन कर दिया है जिसमें डॉग शेल्टर्स से आवारा कुत्तों को छोड़े जाने पर पूरी तरह रोक लगाई गई थी।


अब सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट किया है कि पकड़े गए कुत्तों को नसबंदी (Sterilization) और टीकाकरण (Vaccination) के बाद उसी स्थान पर वापस छोड़ा जाए, जहां से उन्हें उठाया गया था- बशर्ते वे रेबीज संक्रमित, संक्रमित होने की आशंका वाले या अत्यधिक आक्रामक न हों।


न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ का फैसला

यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारैया की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने पारित किया।

पीठ ने साफ शब्दों में कहा कि- आक्रामक या रेबीज ग्रस्त कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा।

-सड़कों पर कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति नहीं होगी।

-इसके बजाय नगर निकायों को निर्देश दिया गया है कि वे विशेष भोजन क्षेत्र (Designated Feeding Zones) निर्धारित करें जहां कुत्तों को भोजन दिया जा सके।

-आवारा कुत्तों के लिए विशेष "फीडिंग जोन" बनाएंगे नगर निगम


सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगमों को निर्देश दिया - हर नगरपालिका वार्ड में कुत्तों की आबादी और सघनता को ध्यान में रखते हुए खास फीडिंग ज़ोन बनाए जाएं। इन क्षेत्रों में सूचनात्मक बोर्ड लगाए जाएं, जिनमें साफ लिखा हो कि आवारा कुत्तों को खाना सिर्फ यहीं खिलाया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति इन निर्देशों का उल्लंघन करता है और सड़कों पर कुत्तों को खाना खिलाते पाया जाता है, तो विधिक कार्रवाई की जाएगी।

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लोक सेवकों को रोकना पड़ेगा महंगा

पीठ ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक (Municipal Officer आदि) को अपना कार्य करने से रोकता है, तो उस व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।


पशु प्रेमियों को गोद लेने का विकल्प

सुप्रीम कोर्ट ने पशु प्रेमियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जो लोग वास्तव में आवारा कुत्तों की देखभाल करना चाहते हैं, वे एमसीडी के समक्ष आवेदन देकर उन्हें गोद ले सकते हैं। यह पहल जिम्मेदार पशुपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है।


पूरे देश में लागू होंगे निर्देश, सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के अधीन

इस मामले का दायरा अब दिल्ली-एनसीआर से बढ़ाकर पूरे भारत तक कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि:

अब यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है।

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाया जाएगा।

अलग-अलग हाईकोर्ट्स में लंबित याचिकाएं अब सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित की जाएंगी।

मामले की अगली सुनवाई 8 सप्ताह बाद होगी।


11 अगस्त का आदेश क्या था?

यह मामला उस स्वतः संज्ञान (Suo Moto) से शुरू हुआ था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर लिया था। रिपोर्ट में बच्चों को आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने और उनमें रेबीज होने की घटनाओं को उजागर किया गया था।


इसके बाद 11 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के नगर निगम आवारा कुत्तों को तत्काल पकड़कर डॉग शेल्टर्स में भेजें और उन्हें वहां रोक कर रखें।


सुप्रीम कोर्ट का यह संशोधित आदेश मानव सुरक्षा और पशु अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है। जहां एक ओर रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी से आम नागरिकों को बचाने की मंशा है, वहीं दूसरी ओर पशु संरक्षण और संवेदनशीलता को भी ध्यान में रखा गया है।


महत्वपूर्ण बातें संक्षेप में:

नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्ते उसी जगह छोड़े जाएंगे।

आक्रामक और रेबीज संक्रमित कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा।

सड़क पर कुत्तों को खाना खिलाना प्रतिबंधित।

खास फीडिंग ज़ोन बनाए जाएंगे।

पशु प्रेमी कुत्तों को गोद ले सकते हैं।

यह नीति अब पूरे भारत में लागू होगी।

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