Facebook पर हर्बल बीज का झांसा देकर 85 लाख की ठगी, तीन विदेशी गिरफ्तार
- ANH News
- 22 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 23 सित॰

उत्तराखंड के रिटायर्ड कर्नल सुरजीत सिंह के साथ सोशल मीडिया के ज़रिए की गई 85 लाख रुपये की ठगी के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। उत्तराखंड एसटीएफ ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए मोहाली (पंजाब) से तीन विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, जो घाना जैसे अफ्रीकी देशों से ताल्लुक रखते हैं। ये आरोपी सोशल मीडिया के माध्यम से झूठे वादों और प्रलोभनों के ज़रिए लोगों को जाल में फंसा कर करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं।
गिरफ्तार आरोपी और उनकी राष्ट्रीयता-
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में हेनरी जेरी, नाकिगोजी फीजा और एलिजाबेथ शामिल हैं। ये सभी घाना देश के नागरिक हैं और लंबे समय से भारत में रहकर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को ठगने के काम में संलिप्त थे। एसटीएफ ने इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) और साइबर अपराध से संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
ठगी की शुरुआत: यूक्रेनी नर्स का झांसा और हर्बल बीज का लालच-
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह के अनुसार, जुलाई 2025 में रिटायर्ड कर्नल सुरजीत सिंह ने देहरादून साइबर थाना में एक विस्तृत शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि 12 जून 2025 को उन्हें फेसबुक पर "सारा वाल्टर" नाम की महिला का फ्रेंड रिक्वेस्ट मिला। महिला ने खुद को यूक्रेन की नागरिक बताया और यह दावा किया कि वह यूके के ब्रिस्टल स्थित रॉयल इंफर्मरी अस्पताल में बतौर नर्स कार्यरत है।
धीरे-धीरे बातचीत बढ़ी और विश्वास जमने के बाद सारा वाल्टर ने उन्हें एलिजाबेथ नाम की एक अन्य महिला से मिलवाया, जिसने उन्हें एक "फ्रैंक" नामक व्यक्ति से जोड़ा। फ्रैंक ने खुद को एक विदेशी फार्मास्यूटिकल कंपनी – "एबाट फार्मा" का खरीद प्रबंधक बताया और एक बड़ा व्यावसायिक प्रस्ताव सामने रखा।
हर्बल बीज के बहाने करोड़ों की ठगी-
फ्रैंक ने कर्नल सुरजीत सिंह को बताया कि उनकी कंपनी कैंसर, अवसाद और गंभीर बीमारियों के इलाज में प्रयुक्त होने वाले दुर्लभ भारतीय हर्बल बीज खरीदना चाहती है। इसके लिए उन्होंने कर्नल को सलाह दी कि वे एक किसान से संपर्क करके बीज खरीदें और कंपनी को सप्लाई करें। पहले ऑर्डर में 100 पैकेट बीजों की मांग की गई, जिसकी कीमत 81,000 रुपये प्रति पैकेट बताई गई थी।
एलिजाबेथ ने उन्हें एक "सोनम थापा" नामक व्यक्ति से मिलवाया, जो खुद को बीज बेचने वाला किसान बता रहा था। कर्नल ने इस झांसे में आकर 12 जून से 29 जून के बीच 18 दिनों में अलग-अलग बैंक खातों में कुल ₹85 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
लेकिन न तो उन्हें बीज मिले, न ही किसी कंपनी से कोई संपर्क हुआ। जब उन्हें संदेह हुआ, तो उन्होंने मामले की शिकायत साइबर थाना देहरादून में की।
जांच में खुलासा: सब कुछ था फर्जी-
जांच के दौरान एसटीएफ ने पाया कि: सारा वाल्टर का प्रोफाइल पूरी तरह फर्जी था।
एलिजाबेथ और फ्रैंक भी नकली पहचान के पीछे छिपे थे।
"सोनम थापा" नाम का कोई किसान अस्तित्व में नहीं था।
एबाट फार्मा कंपनी के नाम और लोगो का दुरुपयोग किया गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसटीएफ ने जांच तेज की और तकनीकी निगरानी, बैंक खातों की ट्रैकिंग तथा जालसाजों की डिजिटल लोकेशन के आधार पर मोहाली से तीन विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया।





