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कराटे खिलाड़ियों को मिला सम्मान, महिला आयोग अध्यक्ष ने बांटे डिप्लोमा प्रमाणपत्र

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 30 सित॰
  • 2 मिनट पठन
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रेलवे रोड स्थित गुरुद्वारा परिसर में रविवार को एक प्रेरणादायक और उत्साहवर्धक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें आईएसकेओआई उत्तराखंड द्वारा आयोजित कराटे बेल्ट परीक्षा में सफल खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं और उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को डिप्लोमा प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया।


कार्यक्रम के दौरान कुसुम कंडवाल ने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में खेलों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि आज के दौर में बच्चे अत्यधिक समय मोबाइल और डिजिटल उपकरणों पर बिता रहे हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य और व्यवहार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों को मोबाइल की दुनिया से दूर रखते हुए उन्हें खेलों की ओर प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा, अनुशासन और आत्मविश्वास के लिए कराटे जैसे खेलों को जीवन में अपनाना जरूरी है, खासकर बेटियों के लिए यह एक सशक्त माध्यम बन सकता है।


कराटे प्रशिक्षक विश्वनाथ राजपूत ने अपने संबोधन में खिलाड़ियों को संतुलित आहार और अनुशासित दिनचर्या अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि मार्शल आर्ट न केवल एक खेल है, बल्कि यह जीवनशैली, अनुशासन और मानसिक दृढ़ता का प्रतीक है।


कार्यक्रम में विभिन्न स्तरों पर उत्तीर्ण हुए खिलाड़ियों को उनके बेल्ट के आधार पर सम्मानित किया गया। येलो बेल्ट पाने वाले बच्चों में अनंत्या राजपूत, अक्षिता पाल, अलीना, पार्थ, जानवी, लक्षित और अक्षत पडियार शामिल रहे। ऑरेंज बेल्ट की श्रेणी में अच्युत, पावनी, वर्षित, इशिका और वेदांश जोशी को सम्मानित किया गया। जूनियर ग्रीन बेल्ट श्रेणी में शंकर, वंश कुमार, सुहाना, केयान और सृष्टि ने अपनी जगह बनाई, जबकि सीनियर ग्रीन बेल्ट में कीर्तिका नेगी, अर्जुन पंवार, हिमांशी राजपूत और केनरिच को सम्मानित किया गया।


इस अवसर पर खिलाड़ियों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने वालों में मदन मोहन शर्मा, संजय शास्त्री, नवल कपूर और विद्याव्रत शर्मा जैसे विशिष्ट अतिथि भी सम्मिलित हुए।


समारोह ने न केवल खिलाड़ियों की मेहनत और प्रतिभा को मान्यता दी, बल्कि समाज में खेलों के महत्व और बच्चों के समग्र विकास की दिशा में एक सकारात्मक संदेश भी दिया।

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