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HIMS में सिम्यूलस-10 का भव्य समापन, सम्मलेन में पिछले दस सालों की प्रगति का उत्सव

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 11 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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ऋषिकेश: स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (एचआईएमएस) में सिम्यूलस-10 सम्मेलन का भव्य समापन गुरुवार को हुआ। चार दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सिमुलेशन आधारित प्रशिक्षण की एक दशक की यात्रा और उपलब्धियों का उत्सव मनाया। इस वर्ष का आयोजन "हेल्थकेयर सिमुलेशन फॉर क्वालिटी एंड सेफ्टी" थीम पर केंद्रित रहा, जिसमें देश-विदेश के विशेषज्ञों, शिक्षकों और प्रशिक्षकों ने सहभागिता की।


सम्मेलन के दौरान विभिन्न विषयों पर गहन वर्कशॉप्स, व्याख्यान और पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं, जहां प्रतिभागियों ने चिकित्सा क्षेत्र में टीमवर्क, संवाद कौशल, निर्णय क्षमता और आधुनिक क्लिनिकल प्रैक्टिस के व्यावहारिक पहलुओं को सीखने का अवसर पाया। सिम्युलेशन आधारित प्रशिक्षण को लेकर प्रतिभागियों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।


इस सम्मेलन की एक प्रमुख उपलब्धि 60 नए सिमुलेशन ट्रेनर्स का तैयार होना रहा, जो आने वाले समय में स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित कर इस नवाचार को और व्यापक बनाएंगे। साथ ही, 30 प्रतिभागियों को प्रारंभिक नवजात शिशु देखभाल (Essential Newborn Care) की विशेष ट्रेनिंग के लिए चुना गया, जिससे नवजात स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया जा सके।


सम्मेलन के दौरान हेल्थकेयर सिमुलेशन को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका के डॉ. बैरी आइसनबर्ग और भारती विद्यापीठ के डॉ. संजय लालवानी को ‘अवॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस’ से सम्मानित किया गया। विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि एसआरएचयू का उद्देश्य केवल तकनीकी रूप से दक्ष चिकित्सक तैयार करना नहीं है, बल्कि उन्हें मानवीय संवेदनाओं और मूल्यों से भी परिपूर्ण बनाना है। उन्होंने कहा कि एसआरएचयू छात्रों के जीवन में एक कंपस (दिशा सूचक) की तरह कार्य करता है, जो उन्हें न केवल एक बेहतर डॉक्टर बल्कि समाज के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार स्वास्थ्यसेवक बनने की प्रेरणा देता है।


आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. अशोक देवराड़ी ने सिम्यूलस को अब एक सम्मेलन मात्र नहीं, बल्कि एक वैश्विक मंच बताया, जहां चिकित्सा शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञ अपने अनुभवों और नवीनतम विचारों को साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि सिमुलेशन आधारित प्रशिक्षण आधुनिक चिकित्सा शिक्षा को अधिक सुरक्षित, व्यावहारिक और प्रभावशाली बना रहा है, जिससे भविष्य की चिकित्सा सेवाएं और बेहतर होंगी।


इस अवसर पर एचआईएमएस की प्रिंसिपल डॉ. रेनू धस्माना, डॉ. विजेंद्र चौहान, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. जूही कालरा, डॉ. सनोबर वसीम, डॉ. दीव्या गुप्ता और डॉ. राजेश शर्मा सहित विश्वविद्यालय के कई प्रमुख चिकित्सक, शिक्षक और छात्र मौजूद रहे। सम्मेलन का माहौल उत्साह, नवाचार और सहयोग की भावना से सराबोर रहा, जिसने चिकित्सा शिक्षा के भविष्य को एक नई दिशा दी।

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