आपराधिक न्याय प्रणाली में डिजिटल परिवर्तन का नया युग ICJS 2.0, उत्तराखंड में 2026 से होगी स्मार्ट पुलिसिंग
- ANH News
- 23 सित॰
- 2 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 24 सित॰

देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में डिजिटल और पारदर्शिता लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) 2.0 को वर्ष 2026 तक लागू किया जाएगा। यह पहल भारत सरकार के डिजिटल क्रिमिनल जस्टिस नेटवर्क को एकीकृत करने की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। इसके अंतर्गत, एफआईआर से लेकर जांच, चार्जशीट और न्यायिक कार्यवाही तक की पूरी प्रक्रिया एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संचालित होगी।
ICJS 2.0 का महत्व
ICJS 2.0 का मुख्य उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना है। इस प्रणाली से पुलिस, फॉरेंसिक, अभियोजन, न्यायपालिका और जेल विभाग एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जुड़ेगे। इसके परिणामस्वरूप, समय की चोट में 30% तक की कमी आने की संभावना है। सामान्यतः एक मामले में जांच पूरी होने में 6-12 महीने लगते हैं, परंतु इस प्रणाली के माध्यम से यह अवधि घटकर 3-5 महीने हो सकती है।
प्रशिक्षण की प्रक्रिया
पुलिस अधिकारियों को नए सिस्टम के उपयोग और कार्यप्रणाली के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आईजी एससीआरवी एवं सीसीटीएनएस, सुनील कुमार मीणा ने ऋषिकेश कोतवाली का दौरा कर उपनिरीक्षकों को ICJS प्रणाली की कार्यप्रणाली की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह प्रणाली केवल तकनीकी बदलाव नहीं है, बल्कि एक क्रांतिकारी पहल है जो न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाएगी।
ICJS 2.0 की कार्यप्रणाली
ICJS 2.0 के तहत, एफआईआर दर्ज होने के बाद की सभी कार्यवाहियां जैसे केस डायरी, चार्जशीट और अभियोजन रिपोर्ट डिजिटल रूप से अपलोड और साझा की जाएंगी। यह प्रणाली सीसीटीएनएस पर आधारित होगी, लेकिन ICJS 2.0 इसमें सुधार और उन्नति लाएगा। दस्तावेज़ों के डिजिटल अपलोड से 50% तेजी से सूचना साझा करने की संभावना है।
उपनिरीक्षकों की भूमिका
आईजी सुनील मीणा ने उल्लेख किया कि उपनिरीक्षक (SI) की भूमिका इस सिस्टम में बेहद महत्वपूर्ण होगी। SI को हर केस से जुड़ी जानकारी को सटीकता से ऑनलाइन दर्ज करना होगा। इससे पुलिस अधिकारियों को त्वरित सूचना प्राप्त होगी और वे बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे। यदि डेटा समय पर दर्ज नहीं किया गया, तो इससे पूरी जांच की प्रगति प्रभावित हो सकती है।
प्रशिक्षण का विस्तार
राज्य के हर जिले में पुलिस अधिकारियों और जांच अधिकारियों को ICJS 2.0 का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह सुनिश्चित करेगा कि जब सिस्टम 2026 में पूरी तरह से ऑनलाइन हो, तो सभी अधिकारी इसका कुशलता से उपयोग कर सकें। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 10,000 से अधिक पुलिस कर्मचारी शामिल होंगे, ताकि उन्हें नई प्रणाली का सही उपयोग सिखाया जा सके।
नया युग- नई संभावना
ICJS 2.0 का कार्यान्वयन भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए एक नया युग लाने का प्रयास है। यह प्रणाली तकनीकी दृष्टि से उन्नत तो है ही, साथ ही न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने में भी सहायक होगी। पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण और इस प्रणाली के प्रभावी कार्यान्वयन से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार की अपेक्षा व्यक्त की जा रही है। इससे नागरिकों को न्याय प्राप्त करने में भी आसानी होगी।
ICJS 2.0 एक महत्वपूर्ण पहल है, जो भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में नई शुरूआत कर रही है। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया को भी अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।






