3 पुलिसकर्मियों को तेज रफ्तार कार ने रौंदा, गंभीर हालत में अस्पताल में कराया भर्ती, चालक गिरफ्तार
- ANH News
- 22 अक्टू॰
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देहरादून: दून शहर में रफ्तार का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। तेज रफ्तार और लापरवाही से चलती एसयूवी कारें अब आम लोगों के साथ-साथ ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के लिए भी जानलेवा बनती जा रही हैं। दिवाली से एक दिन पहले, शनिवार देर रात लगभग तीन बजे डालनवाला थाना क्षेत्र के आराघर इलाके में एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब एक तेज रफ्तार एसयूवी ने ड्यूटी कर रहे तीन पुलिसकर्मियों को रौंद दिया।
इस भयावह घटना में गनीमत यह रही कि किसी की जान नहीं गई, लेकिन तीनों पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। दो जवानों के पैर टूट गए हैं, जबकि एक का कूल्हा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। यह घटना न सिर्फ सड़क सुरक्षा की बदहाल स्थिति को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कुछ लोग कानून को कोई महत्व नहीं देते, भले ही सामने वर्दीधारी ही क्यों न खड़ा हो।

दुखद बात यह है कि देहरादून में यह पहला मामला नहीं है। शहर की सड़कों पर ऐसी घटनाएं अब आम होती जा रही हैं, जहां लापरवाह चालक नियमों को ताक पर रखकर न सिर्फ खुद की, बल्कि दूसरों की जान भी जोखिम में डालते हैं। इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें मासूम राहगीर या मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
इसी साल होली से ठीक एक दिन पहले, 13 मार्च को भी एक लग्जरी एसयूवी चालक की लापरवाही ने चार निर्दोष मजदूरों की जान ले ली थी। ये सभी मजदूर अपने गांव की ओर होली मनाने लौट रहे थे। राजपुर रोड पर घंटाघर की ओर आती तेज रफ्तार कार ने उन्हें कुचल दिया था। चारों की मौके पर ही मौत हो गई थी। उस समय भी हादसे के बाद शहर भर में आक्रोश फैल गया था। आरोपी चालक को पुलिस ने उसी रात गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन सवाल आज भी वही खड़ा है—क्या ऐसे मामलों पर नियंत्रण संभव है?
अब जब पुलिसकर्मी खुद ऐसे हमलों का शिकार बन रहे हैं, तो यह मामला और अधिक संवेदनशील हो गया है। एसएसपी अजय सिंह ने इस पूरी घटना का सख्त संज्ञान लिया है और सभी थानाध्यक्षों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसे बेकाबू और कानून तोड़ने वाले चालकों पर तत्काल और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक ठोस रणनीति बनाई जा रही है।
तेजी से बढ़ते शहरीकरण और वाहनों की बढ़ती संख्या के बीच यह ज़रूरी हो गया है कि सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। पुलिस बल की जिम्मेदारी केवल यातायात नियंत्रित करने की नहीं, बल्कि खुद की रक्षा करने की भी होती जा रही है। ऐसे में शहर प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह आम नागरिक हो या पुलिसकर्मी—सड़क पर सुरक्षित महसूस कर सके।





