आठ साल से लापता महंत मोहनदास पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता, जांच अब CBI के हाथ में
- ANH News
- 5 दिन पहले
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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार के एक महंत की आठ वर्षों से लापता होने की गुमशुदगी की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। न्यायालय ने राज्य की जांच एजेंसियों की निष्क्रियता और मामले में निष्कर्ष न निकाल पाने पर गहरी चिंता व्यक्त की। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकल पीठ ने पारित किया।
महंत सुखदेव मुनि ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मामले की निष्पक्ष जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध किया था। 30 जुलाई को याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। जानकारी के अनुसार, सोलह सितंबर 2017 को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता और कनखल के श्री पंचायती अखाड़ा के बड़ा उदासीन महंत मोहनदास मुंबई जाने के लिए हरिद्वार से रेलगाड़ी में सवार हुए थे। भोपाल रेलवे स्टेशन पर उनके शिष्य खाने के लिए उनकी सीट पर पहुंचे, लेकिन महंत वहां नहीं थे। कई प्रयासों के बावजूद उनका कोई पता नहीं चला और कनखल पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
जांच अधिकारी ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने अंतिम रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसे मजिस्ट्रेट ने खारिज कर मामले की दोबारा जांच का आदेश दिया। इसके बाद अधिकारी ने प्रगति रिपोर्ट दाखिल की, जिस पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामला निस्तारित कर दिया। याचिकाकर्ता ने फिर हरिद्वार के चतुर्थ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के सामने पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिसने न्यायिक मजिस्ट्रेट के फैसले को पलटते हुए मामले को जांच के लिए वापस भेज दिया।
हालांकि अदालत द्वारा प्रगति रिपोर्ट मांगे जाने के बावजूद अधिकारी ने न तो रिपोर्ट दाखिल की और न ही जांच दोबारा शुरू की। सात वर्षों तक निष्क्रियता और कोई निर्णायक निष्कर्ष न मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का रुख किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि वर्षों बाद भी जांच एजेंसियां महंत का पता नहीं लगा सकीं।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि राज्य ने बार-बार जांच अधिकारी बदल दिए, लेकिन इसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला। अदालत ने कहा कि महंत के लापता होने से याचिकाकर्ता अत्यंत व्यथित है और इसलिए मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया। साथ ही, राज्य सरकार को सभी मौजूदा जांच रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपने का आदेश भी दिया गया।
महंत मोहनदास के लापता होने के बाद अखाड़ा परिषद ने फर्जी संतों की सूची तैयार करने की घोषणा की थी, जिसके बाद उनकी गुमशुदगी पर और भी सवाल उठने लगे। अदालत ने इस मामले में स्पष्ट किया कि महंत के गुम होने की जांच में अब केंद्रीय एजेंसी निष्पक्ष और प्रभावी भूमिका निभाएगी, ताकि लंबित रह गई सत्यता का पता लगाया जा सके। धमकियां मिल रही थीं। परिषद ने उन फर्जी संतों पर उनके अपहरण का संदेह भी जताया था जिनकी पोल खोलने की वह कोशिश कर रहे थे।





