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हरे रामा हरे कृष्णा से गूंज उठी धर्मनगरी, भव्यता से निकली जगन्नाथ यात्रा

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 8 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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मुनि की रेती ढलवाला के मधुबन आश्रम द्वारा एक भव्य जगन्नाथ यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं थी, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी थी, जिसमें लगभग 500 कृष्ण भक्तों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस यात्रा का मार्ग कैलाश गेट से शुरू होकर मंदिर होते हुए चंद्रभागा पुल और मुख्य बाजार रेलवे रोड स्थित गुरुद्वारा में समाप्त हुआ।


यात्रा का मार्ग

यात्रा का प्रारंभ कैलाश गेट से हुआ, जहाँ भक्तों ने भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की खूबसूरत मूर्तियों को श्रद्धा के साथ सजाया। भक्तों ने इस यात्रा में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और हरियाणा जैसे विभिन्न प्रदेशों से भाग लिया, जिससे यह यात्रा एक अद्वितीय सांस्कृतिक मिलन का प्रतीक बन गई।

यात्रा के दौरान भक्तों ने "हरे राम, हरे कृष्णा" की धुन पर नृत्य किया। यह नृत्य केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था। भक्तों ने नृत्य में भाग लिया, जो भक्ति और प्रेम का एक अद्भुत प्रदर्शन था।

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सुरक्षा के इंतजाम

पुलिस प्रशासन ने यात्रा के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। यह सुनिश्चित किया गया कि सभी भक्त सुरक्षित रूप से यात्रा का आनंद ले सकें। सुरक्षा बलों की उपस्थिति ने भक्तों को और अधिक आत्मविश्वास दिया। इससे वे बिना किसी चिंता के अपनी भक्ति में लीन हो सके।


आश्रम के प्रमुख का संदेश

आश्रम के प्रमुख परमानंद दास महाराज ने बताया कि यह उनकी ओर से आयोजित की गई आठवीं जगन्नाथ यात्रा थी। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देना नहीं है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ विभिन्न प्रदेशों के भक्त एकत्रित होकर अपनी भक्ति का प्रदर्शन कर सकते हैं।

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भक्तों की भागीदारी

इस यात्रा में विभिन्न प्रदेशों और राज्यों के कृष्ण भक्तों ने भाग लिया। यह एक ऐसा अवसर था जहाँ भक्तों ने आपस में भक्ति का अनुभव साझा किया। यात्रा में शामिल भक्तों ने अपने पारंपरिक परिधान पहनकर यात्रा की शोभा को और बढ़ा दिया।


यात्रा का समापन

यात्रा का समापन चंद्रभागा पुल के पास स्थित गुरुद्वारा में हुआ। यहाँ भक्तों ने एकत्रित होकर प्रार्थना की और भगवान से आशीर्वाद मांगा। समापन समारोह ने यात्रा के अनुभव को और भी विशेष बना दिया।

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सांस्कृतिक महत्व

जगन्नाथ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है। यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह यात्रा भक्तों को एकजुट करती है और उन्हें एक साझा अनुभव प्रदान करती है। इस प्रकार की यात्राएँ समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाती हैं।


यात्रा का प्रेरणादायक अनुभव

जगन्नाथ यात्रा की भव्यता और कृष्ण भक्तों का नृत्य मुनि की रेती में एक अद्वितीय अनुभव था। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है, जिसमें भक्तों ने मिलकर भक्ति का आनंद लिया।


इस यात्रा ने यह साबित कर दिया कि भक्ति और प्रेम की कोई सीमा नहीं होती। सभी भक्तों ने मिलकर इस यात्रा को सफल बनाया। अपने-अपने प्रदेशों से आए भक्तों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर एक अद्भुत अनुभव साझा किया।

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