साल का आखिरी सूर्यग्रहण 21 सितंबर को, बदलेगी कई देशों की दिशा
- ANH News
- 19 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 20 सित॰

आगामी 21 सितंबर को आश्विन अमावस्या के दिन एक आंशिक सूर्यग्रहण घटित होने जा रहा है। यह खगोलीय घटना खगोल विज्ञान के लिहाज से तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसके कई प्रभाव सामने आ सकते हैं। यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा, किंतु चूंकि यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र में घटित हो रहा है, और उस पर वक्री शनि की सातवीं दृष्टि पड़ रही है, अतः इसका परोक्ष प्रभाव राजनीतिक, सामाजिक और वैश्विक स्तर पर देखा जा सकता है।
ग्रहण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और फिजी के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह दृश्य नहीं होगा, परंतु ग्रहण के समय का संयोग, आकाशीय गोचर और वैश्विक घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि इसे विशेष बनाते हैं। ग्रहण का प्रभाव भारत में प्रत्यक्ष रूप से तो नहीं, परंतु अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में कुछ हलचल ला सकता है, विशेषकर उन लोगों और संस्थानों के लिए जिनका संबंध विदेशों से है।
अगर स्वतंत्र भारत की वृषभ लग्न की कुंडली पर इस सूर्यग्रहण को परखा जाए तो ग्रहण का प्रभाव पंचम भाव पर पड़ रहा है। पंचम भाव ज्योतिष में शिक्षा, युवाओं, रचनात्मकता, सिनेमा, कूटनीति और शेयर बाजार जैसे क्षेत्रों से संबंधित माना जाता है। ग्रहण के समय कन्या राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध तीनों ही ग्रह स्थित होंगे और उस पर वक्री शनि की दृष्टि पड़ रही होगी। इसका सीधा असर उन भारतीय विद्यार्थियों और पेशेवरों पर हो सकता है जो विशेष रूप से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में पढ़ाई या काम के सिलसिले में निवास कर रहे हैं। आने वाले तीन महीनों में इन्हें कुछ अवरोधों या परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
ऑस्ट्रेलिया की स्थापना कुंडली में मीन लग्न है और वहां इस समय सूर्य में शुक्र की विंशोत्तरी दशा चल रही है, जो 2026 तक शुभ नहीं मानी जा रही है। इस कारणवश, वहां भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ असंतोष या नस्लीय प्रतिक्रियाएं उभर सकती हैं, जैसा कि सितंबर के पहले सप्ताह में एक रैली में देखा गया था। इसके विपरीत, न्यूज़ीलैंड की वृषभ लग्न की कुंडली में इस समय शुक्र में शनि की अनुकूल दशा चल रही है, अतः वहां इस ग्रहण के प्रभाव तुलनात्मक रूप से सामान्य रहने की संभावना है।
ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा दोनों कन्या राशि में होंगे और उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र में यह ग्रहण घटित होगा। यह नक्षत्र दक्षिण भारत के भूभाग का प्रतिनिधित्व करता है। कूर्म चक्र के अनुसार इस समय दक्षिणी राज्यों में विशेष रूप से भ्रष्टाचार से जुड़ी घटनाएं प्रकाश में आ सकती हैं। तमिलनाडु जैसे राज्यों में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना भी बनती दिख रही है।
बृहत संहिता जैसे ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि जब ग्रहण कन्या राशि में होता है तो उसका प्रभाव विशेषकर फसलों, कवियों, विद्वानों, गायकों, लेखकों और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों पर पड़ता है। ऐसे में इस बार चावल (धान) की फसल सामान्य से कम हो सकती है। साथ ही, असम, त्रिपुरा, मणिपुर जैसे राज्यों से कुछ अप्रिय समाचार सामने आ सकते हैं।
मनोरंजन और सिनेमा जगत के लिए भी यह ग्रहण कुछ अशांत स्थितियां उत्पन्न कर सकता है। संभव है कि कुछ बड़े कलाकार या नामचीन हस्तियां किसी विवाद या सार्वजनिक बहस का हिस्सा बनें, जिससे मीडिया और सोशल मीडिया में हलचल बढ़े।
इस दिन विशेष बात यह भी है कि पितृ अमावस्या भी इसी दिन पड़ रही है, परंतु चूंकि सूर्यग्रहण भारत में दृश्य नहीं है, इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा और सभी पिंडदान, तर्पण तथा श्राद्ध कर्म सामान्य रूप से किए जा सकेंगे।
कुल मिलाकर यह सूर्यग्रहण भले ही भारत में दिखाई नहीं देगा, परंतु इसकी ज्योतिषीय स्थिति और गोचर कई संकेत दे रही है- विशेष रूप से प्रवासी भारतीयों, शिक्षा क्षेत्र, सिनेमा उद्योग और दक्षिण व पूर्वोत्तर भारत के लिए। ऐसे में आने वाले कुछ महीनों पर पैनी नजर बनाए रखना जरूरी होगा।





