धराली-हर्षिल के मलबे में दबे शवों की तलाश जारी, अब डीएनए से होगी पुष्टि
- ANH News
- 19 अग॰
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अपडेट करने की तारीख: 20 अग॰

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के धराली और हर्षिल क्षेत्रों में आई विनाशकारी प्राकृतिक आपदा को अब लगभग 14 दिन बीत चुके हैं। इस आपदा में सेना के नौ जवानों सहित लगभग 68 लोग लापता हो गए थे। राहत और बचाव कार्य जारी रहने के बावजूद, अब तक केवल दो शव ही बरामद किए जा सके हैं।
आपदा के दूसरे दिन मलबे से पहला शव बरामद हुआ था। इसके बाद सोमवार को हर्षिल से लगभग तीन किलोमीटर दूर झाला क्षेत्र में भागीरथी नदी से एक और शव अत्यंत क्षतविक्षत अवस्था में मिला है। इस शव की अब डीएनए जांच के माध्यम से पहचान सुनिश्चित की जाएगी, क्योंकि उसकी स्थिति ऐसी नहीं है कि पारंपरिक तरीके से पहचान संभव हो सके। शव पर मिले कपड़े यह संकेत दे रहे हैं कि वह सेना के किसी जवान का हो सकता है, लेकिन अंतिम पुष्टि डीएनए परीक्षण के बाद ही की जाएगी।
डीएनए से होगी शिनाख्त:
स्वास्थ्य विभाग की ओर से आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी, एसीएमओ डॉ. कुलवीर राणा ने जानकारी दी है कि अब आगे से जो भी शव मलबे या नदी में मिलेंगे, उनकी पहचान केवल डीएनए टेस्ट के जरिए ही की जाएगी। इस प्रक्रिया में शव के परिजनों से डीएनए नमूने लिए जाएंगे और मिलान कर पुष्टि की जाएगी।
शव मिलने की संभावनाएं धुंधली, पर सर्च ऑपरेशन जारी:
धराली और हर्षिल क्षेत्रों में खीर गंगा और तेलगाड़ से आए मलबे की मोटाई लगभग 15 से 20 फीट तक है। इतने गहरे मलबे में शवों के दबे होने की आशंका तो है, लेकिन उन्हें निकाल पाना बेहद चुनौतीपूर्ण है। फिर भी एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना की टीमें लगातार राहत और खोजबीन अभियान में जुटी हुई हैं।
केदारनाथ आपदा से सीखी गई सीख:
यह उल्लेखनीय है कि केदारनाथ आपदा के बाद राज्य सरकार ने यह नीति बनाई थी कि यदि लापता व्यक्ति का शव नहीं मिलता है, तो पुलिस थाने में दर्ज रिपोर्ट और अन्य प्रमाणों के आधार पर 15 दिन बाद उसे मृत घोषित किया जाता है। धराली-हर्षिल आपदा में भी इसी प्रक्रिया को अपनाया जाएगा, जिससे परिजनों को कानूनी और प्रशासनिक सहायता मिल सके।
धराली और हर्षिल की इस त्रासदी ने कई परिवारों को गहरे दुःख में डुबो दिया है। प्रशासन और बचाव एजेंसियों की पूरी कोशिश है कि जितना संभव हो सके, लापता लोगों की तलाश की जाए और उनके परिजनों को उचित जानकारी और सहायता उपलब्ध करवाई जाए। डीएनए परीक्षणों के माध्यम से पहचान की प्रक्रिया इस मुश्किल समय में वैज्ञानिक और न्यायसंगत समाधान की दिशा में एक अहम कदम है।





