चमोली में बाढ़ पीड़ितों की जंग: जान तो बची, अब रोजी-रोटी और आशियाने की दरकार
- ANH News
- 26 अग॰
- 3 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 27 अग॰

थराली तहसील के 15 किलोमीटर क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ ने व्यापक तबाही मचा दी है। सैलाब की तेज़ धार ने कई मकानों और दुकानों को मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया है, जिससे स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी पर गहरा संकट मंडरा गया है।
विशेषकर थराली के चेपड़ों कस्बे में सोमवार तक प्रशासन ने 96 परिवारों की सूची तैयार की है, जिनमें कई परिवारों के मकान और दुकानें दोनों ही क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। लोअर थराली में भी दर्जनों दुकानें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इस आपदा ने पीड़ितों के सामने न केवल आर्थिक तंगी, बल्कि बच्चों की पढ़ाई और बुजुर्गों की दवा समेत परिवार की मूलभूत जरूरतों को लेकर चिंता खड़ी कर दी है।
22 अगस्त की रात आई आफत ने छीना चैन-
22 अगस्त की रात अचानक आई भीषण सैलाब ने थराली मुख्यालय के आस-पास के कस्बों में कहर बरपाया। चेपड़ों गदेरे का उफान इतना तेज था कि उसने चेपड़ों बाजार को पूरी तरह मलबे में बदल डाला।

स्थानीय वीडियोग्राफर और घटनास्थल पर काम करने वाले भरत सिंह ने बताया,
"मेरी दुकान ही नहीं, मेरा घर भी इसी से चलता था। सब कुछ मलबे में दब गया, कंप्यूटर सहित सारे सामान नष्ट हो गए।"
हार्डवेयर व्यवसायी दर्शन ने कहा "पिछले डेढ़ दशक से यही कारोबार कर रहा था। अब दुकान खत्म हो गई है। बच्चों की पढ़ाई के लिए भी पैसे कहां से आएंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है।"
परचून की दुकान चलाने वाले लक्ष्मी प्रसाद जोशी ने बताया कि करीब 30-35 लाख रुपये के सामान की दुकान बर्बाद हो गई,
"अब हम सड़क पर आ गए हैं। बच्चों की पढ़ाई और परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा, समझ नहीं आता।"

किराये पर दुकान चलाने वाली कमला देवी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा "सिर्फ मलबा बचा है। अब रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है।"
राहत कार्यों में प्रशासन की सक्रियता, सामुदायिक रसोई शुरू-

चेपड़ों में आपदा प्रभावितों के लिए राजकीय प्राथमिक विद्यालय में राहत शिविर स्थापित किया गया है। सोमवार तक इस शिविर में 55 से अधिक प्रभावित लोग आश्रय लिए हुए हैं।
तहसीलदार अक्षय पंकज ने बताया कि प्रशासन ने सामुदायिक रसोई का भी गठन किया है, जिसमें खाद्यान्न सामग्री और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। प्रभावित ग्रामीण स्वयं भोजन तैयार कर रहे हैं, जिससे उन्हें राहत मिल रही है।
दस्तावेजों का भी हुआ नुकसान, पहचान का संकट बढ़ा-
कोटडीप थराली क्षेत्र में बारह से अधिक मकान बाढ़ के मलबे में दब गए, जिनमें रह रहे लोगों के महत्वपूर्ण दस्तावेज भी तबाह हो गए।
जय सिंह के परिवार के आधार कार्ड समेत बच्चों के स्कूल के दस्तावेज भी नष्ट हो गए हैं। 23 वर्षीय संदीप सिंह ने बताया कि उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्र भी इस आपदा में खो गए।
सावित्री देवी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा,
"मेरे सारे कपड़े, जेवरात और जरूरी सामान इस सैलाब में बह गए।"
जल संस्थान कार्यालय भी हुआ मलबे में दफ़न-
थराली में स्थित जल संस्थान का अवर अभियंता कार्यालय भी बाढ़ की चपेट में आ गया। मलबे ने कार्यालय में रखे सरकारी दस्तावेज और अन्य सामग्री को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। इससे विभागीय कामकाज में भी बाधा उत्पन्न हुई है।
आगे की राह कठिन, सहायता और पुनर्वास की दरकार-
बाढ़ से हुए भारी नुकसान के बाद पीड़ित परिवारों के सामने अब आर्थिक संकट, बुनियादी सुविधाओं की कमी और पुनर्वास जैसी बड़ी चुनौतियां हैं। प्रशासन और राज्य सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वे जल्द से जल्द प्रभावी राहत एवं पुनर्निर्माण कार्य शुरू करें, ताकि इन परिवारों की जीवनशैली सामान्य हो सके।





