कार्तिक पूर्णिमा पर उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई पुण्य डुबकी
- ANH News
- 3 घंटे पहले
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ऋषिकेश: कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला। भोर होते ही गंगा तटों और घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। आस्था से ओत-प्रोत भक्तजन गंगा जल में डुबकी लगाकर अपने पापों का शोधन और आत्मा की शुद्धि का भाव लिए स्नान कर रहे थे। घाटों पर गूंजते “हर-हर गंगे” और “जय माँ गंगे” के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय और आध्यात्मिक बन गया।
बुधवार की सुबह चार बजे से ही श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचने लगे। त्रिवेणीघाट सहित नगर पालिका मुनि की रेती, नगर पंचायत तपोवन और नगर पंचायत स्वर्गाश्रम जौंक के सभी घाटों पर भक्तों का सैलाब देखते ही बनता था। देशी और विदेशी पर्यटकों ने भी इस अवसर पर आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने स्नान के उपरांत गंगा मैया को दीपदान किया और साधु-संतों तथा जरूरतमंदों को अन्न, धन और वस्त्र का दान किया। घाटों पर उड़द की दाल और चावल का दान सबसे अधिक किया गया।
दिनभर भक्तों की भीड़ बनी रही और शाम होते-होते घाटों पर दीपों की पंक्तियाँ गंगा जल में तैरने लगीं। दीपों की सुनहरी आभा और गंगा की लहरों का संगम एक अद्भुत दृश्य उत्पन्न कर रहा था। भक्तों ने इस पवित्र अवसर पर हलवा, पूरी, खीर जैसे प्रसाद का वितरण किया, जिससे पूरे क्षेत्र में धार्मिक उल्लास का वातावरण बन गया।
पंडित सुमित गौड़ ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माना गया है। इस दिन गंगा स्नान, दीपदान, हवन, यज्ञ तथा दान-पुण्य करने से व्यक्ति के सारे सांसारिक पाप और ताप दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों, सरोवरों और धर्मस्थलों- जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, अयोध्या और काशी- में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
उन्होंने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति स्नान, दान और पूजा-अर्चना करता है, उसे उसका कई गुना फल प्राप्त होता है। यही कारण है कि यह दिन पूरे भारतवर्ष में भक्तों के लिए परम पावन और श्रद्धा का पर्व माना जाता है। इस अवसर पर गंगा तट सचमुच आस्था, आध्यात्मिकता और दिव्यता के सागर में डूबे नजर आए।





