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परमार्थ में तीन दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 19 सित॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 20 सित॰

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परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में गंगा संरक्षण और भारतीय संस्कृति के संवर्धन को समर्पित तीन दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला उत्तर प्रदेश के सात जिलों से आए 15 घाटों के 30 पुरोहितों की सहभागिता के साथ संपन्न हुई। इसका उद्देश्य गंगा आरती जैसे आध्यात्मिक अनुष्ठानों को जन-जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण के प्रभावशाली माध्यम के रूप में स्थापित करना है।


कार्यशाला का उद्घाटन ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस की अंतरराष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने किया। यह दसवीं प्रशिक्षण कार्यशाला परमार्थ निकेतन, नमामि गंगे और जल शक्ति मंत्रालय की अर्थ गंगा पहल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई। साध्वी भगवती सरस्वती ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि गंगा आरती केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना, आस्था और आध्यात्मिक मूल्यों का सजीव प्रतीक है।


स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गंगा की आरती समाज के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ पर्यावरण जागरूकता का भी संदेश देती है। यह केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि गंगा नदी के संरक्षण और जनमानस में उसके प्रति उत्तरदायित्व की भावना जागृत करने का प्रयास है।


तीन दिनों तक चली इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को हवन, मंत्रोच्चारण, गंगा आरती, सात्विक भंडारे और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों के माध्यम से न केवल धार्मिक विधियों का प्रशिक्षण दिया गया, बल्कि उन्हें गंगा संरक्षण से जुड़े सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर भी जागरूक किया गया।


कार्यक्रम के दौरान परमार्थ निकेतन की गंगा नंदिनी, वंदना शर्मा, आचार्य दिलीप क्षेत्री, राकेश रोशन सहित नमामि गंगे टीम के दुर्गा प्रसाद नौटियाल, नवीन, आशीष आदि भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यशाला ने यह संदेश दिया कि जब तक आस्था और विज्ञान का समन्वय नहीं होगा, तब तक गंगा जैसे पवित्र और जीवनदायिनी नदी के संरक्षण का संपूर्ण लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता।


यह आयोजन धार्मिक और सामाजिक नेतृत्व के समन्वय से एक नई दिशा की ओर संकेत करता है- जहाँ परंपरा केवल रीति नहीं, बल्कि परिवर्तन का माध्यम बन सकती है।

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