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उत्तराखंड में 500 नेचर गाइड होंगे तैयार, स्थानीय युवाओं को मिलेगा नया रोजगार

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 29 सित॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड की वादियाँ अपने नैसर्गिक सौंदर्य, जैव विविधता और शांत वातावरण के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। अब इन वादियों की गहराइयों और अनदेखे पर्यटन स्थलों से पर्यटकों को रूबरू कराने के लिए प्रदेश सरकार एक नई पहल करने जा रही है। राज्य के पर्यटन विभाग द्वारा 500 ‘नेचर गाइड’ तैयार करने की योजना पर तेजी से कार्य किया जा रहा है।


इस योजना के अंतर्गत स्थानीय युवाओं को 15 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रमाणित नेचर गाइड बनाया जाएगा। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, केंद्र सरकार के अधीन पर्यटन एवं हॉस्पिटैलिटी स्किल काउंसिल (THSC) की ओर से परीक्षा ली जाएगी, जिसमें सफल प्रतिभागियों को अधिकृत 'नेचर गाइड प्रमाण पत्र' प्रदान किया जाएगा।


रोजगार और पर्यटन विकास की दोहरी पहल

यह योजना न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगी। विशेष रूप से उन युवाओं को जो प्रकृति, वन्यजीवन और स्थानीय संस्कृति से जुड़े हैं और अपने क्षेत्रों के बारे में गहराई से जानते हैं।


पर्यटन विभाग का मानना है कि उत्तराखंड में अनेक ऐसे दर्शनीय स्थल और प्राकृतिक खजाने हैं, जो अब तक मुख्यधारा के पर्यटन मानचित्र से दूर रहे हैं। ऐसे में नेचर गाइड पर्यटकों को इन अनछुए और कम प्रसिद्ध स्थलों तक पहुंचने में मार्गदर्शन करेंगे और वहां की विशेषताओं से अवगत कराएंगे।


बिन्सर से हुई शुरुआत

इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत अल्मोड़ा जनपद के प्रसिद्ध पर्यावरणीय स्थल बिन्सर से की गई है। यहाँ उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (UTDB) और पर्यटन एवं हॉस्पिटैलिटी स्किल काउंसिल के संयुक्त तत्वावधान में नेचर गाइड प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। प्रशिक्षण में भाग लेने वाले युवाओं को न केवल पर्यावरण और वन्यजीवों की जानकारी दी जा रही है, बल्कि पक्षी विज्ञान (Ornithology), स्थानीय जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र, पर्यावरण संरक्षण, तथा पर्यटक संवाद कौशल जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।


निःशुल्क प्रशिक्षण, सुनहरा भविष्य

पर्यटन विभाग की ओर से यह प्रशिक्षण पूर्णतः निःशुल्क प्रदान किया जा रहा है, जिससे अधिक से अधिक युवा इससे जुड़ सकें। विभाग की अपर निदेशक श्रीमती पूनम चंद ने जानकारी दी कि प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद पात्र अभ्यर्थियों की परीक्षा ली जाएगी, और सफल उम्मीदवारों को आधिकारिक प्रमाण पत्र मिलेगा, जो उन्हें प्रदेश में पर्यटकों का मार्गदर्शन करने में सक्षम बनाएगा।

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उत्तराखंड की यह पहल एक दूरदर्शी कदम है, जो स्थानीय संसाधनों के संरक्षण, पर्यटन स्थलों के प्रचार-प्रसार और युवाओं के सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। यदि यह योजना सफल होती है, तो यह न केवल राज्य की आर्थ‍िक स्थिति को मजबूती देगी, बल्कि एक स्थायी, जिम्मेदार और समावेशी पर्यटन मॉडल को भी बढ़ावा देगी।

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