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Chhath Puja 2025: ऋषिकेश में लागू होगा विशेष ट्रैफिक प्लान तैयार, यहाँ प्रवेश बंद, जानें

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 25 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा के अवसर पर इस वर्ष ऋषिकेश में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष ट्रैफिक प्लान तैयार किया है। त्रिवेणीघाट क्षेत्र में यह व्यवस्था 27 और 28 अक्तूबर 2025 को लागू की जाएगी। इस दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए कई यातायात प्रतिबंध लागू रहेंगे।


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 27 अक्तूबर की दोपहर बाद और 28 अक्तूबर की सुबह त्रिवेणी घाट रोड पर दोपहिया वाहनों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। केवल पैदल श्रद्धालुओं को घाट क्षेत्र में जाने की अनुमति दी जाएगी। यातायात पुलिस ने बताया कि छठ पर्व के दौरान लगभग 15 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है, इसलिए घाट तक जाने वाले मार्गों पर यातायात व्यवस्था सख्ती से नियंत्रित की जाएगी। वाहनों को जयराम आश्रम और क्षेत्र रोड से त्रिवेणी घाट की ओर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।


प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए घाट क्षेत्र में सफाई, प्रकाश व्यवस्था, पेयजल, प्राथमिक उपचार और भीड़ नियंत्रण के विशेष प्रबंध किए हैं। अधिकारियों के अनुसार, श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए पुलिस, नगर निगम और अन्य विभागों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।


इस वर्ष छठ पूजा का शुभारंभ 25 अक्तूबर 2025 से होगा और यह चार दिवसीय पर्व 28 अक्तूबर तक चलेगा। गंगा तटों पर सूर्य उपासना का यह पर्व बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाएगा। 27 अक्तूबर को व्रती महिलाएं अपने परिजनों के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगी, जबकि अगले दिन यानी 28 अक्तूबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा।


छठ महापर्व को सूर्य उपासना और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है और मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और समापन सप्तमी तिथि पर होता है।


छठ व्रत की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ के साथ होती है, दूसरे दिन ‘खरना’ का विधान किया जाता है। तीसरे दिन व्रती महिलाएं गंगा या पवित्र जल स्रोतों के किनारे ढलते सूरज को अर्घ्य अर्पित करती हैं, जबकि चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर यह व्रत संपन्न किया जाता है। यह पर्व न केवल संतान की दीर्घायु और परिवार की समृद्धि के लिए मनाया जाता है, बल्कि इसे शुद्ध आस्था, आत्मसंयम और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का पर्व भी माना जाता है।


ऋषिकेश के त्रिवेणीघाट पर हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने की उम्मीद है। प्रशासन की यह तैयारी सुनिश्चित करेगी कि यह महापर्व श्रद्धा, अनुशासन और व्यवस्था के साथ संपन्न हो।

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