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गंगा का जलस्तर चेतावनी रेखा के पार, बढ़ा खतरा, लाउडस्पीकर से अलर्ट

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 25 अग॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 26 अग॰

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ऋषिकेश। प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश का असर अब देवप्रयाग क्षेत्र में भी गंभीर रूप से दिखने लगा है। अलकनंदा नदी का जल स्तर शनिवार को तेजी से बढ़ते हुए चेतावनी के निशान को पार कर गया, जिससे पूरे क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। साथ ही गंगा नदी का जलस्तर भी खतरनाक सीमा तक पहुँच चुका है।


460 से बढ़कर 463 मीटर पर पहुँची अलकनंदा:

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, अलकनंदा नदी शुक्रवार रात 460 मीटर पर बह रही थी, लेकिन शनिवार सुबह तक इसका जल स्तर बढ़कर चेतावनी सीमा 463 मीटर तक पहुँच गया। इस तेज़ वृद्धि के कारण देवप्रयाग का प्रमुख संगम घाट, रामकुंड और फुलाडी घाट पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं।


टोडेश्वर टापू डूबा, भागीरथी का प्रवाह भी प्रभावित:

तेज प्रवाह के चलते अलकनंदा नदी टोडेश्वर टापू को पार कर गई, जिससे आसपास के क्षेत्र जलमग्न हो गए। इसके अतिरिक्त, अलकनंदा की तेज धारा ने भागीरथी नदी के प्रवाह को अवरुद्ध कर दिया, जिससे उसका जल स्तर भी तेजी से बढ़ने लगा है।


बढ़ते जलस्तर के बीच जारी रहा शनि अमावस्या का तर्पण:

गंगा, अलकनंदा और भागीरथी- तीनों पवित्र नदियों के संगम स्थल पर बने स्नान घाट जलमग्न होने के बावजूद, शनि अमावस्या के अवसर पर तीर्थयात्री और स्थानीय श्रद्धालु नदी किनारे तर्पण व धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं। बढ़ते जलस्तर और तेज बहाव के बीच श्रद्धालुओं की आस्था अडिग बनी हुई है, हालांकि सुरक्षा को लेकर चिंता गहराती जा रही है।


प्रशासन को सतर्कता की आवश्यकता:

बढ़ते जल स्तर को देखते हुए प्रशासन को चौकसी बढ़ाने और संवेदनशील इलाकों में निगरानी रखने की ज़रूरत है। विशेषकर घाटों और संगम क्षेत्र में तैनात आपदा राहत दलों को सक्रिय किया जाना आवश्यक है, ताकि कोई अनहोनी ना हो।


देवप्रयाग में बारिश के कारण उत्पन्न जल संकट गंभीर रूप ले सकता है। तीर्थनगरी में स्थित पवित्र घाटों के जलमग्न होने से न केवल श्रद्धालु प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि संभावित आपदा का भी खतरा मंडरा रहा है। जल आयोग और प्रशासन की सतर्क निगरानी और स्थानीय लोगों की सावधानी ही इस संकट से राहत दिला सकती है।

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