नकल माफिया पर नकेल, आयोग ने स्थगित की 5 अक्टूबर की परीक्षा
- ANH News
- 3 अक्टू॰
- 3 मिनट पठन

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा प्रस्तावित सहकारी निरीक्षक वर्ग-2 सहायक विकास अधिकारी (सहकारिता) पद की लिखित परीक्षा, जो कि 5 अक्टूबर को आयोजित की जानी थी, अब स्थगित कर दी गई है। आयोग द्वारा यह निर्णय हाल ही में सामने आए पेपर लीक प्रकरण और परीक्षाओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उठी चिंताओं के मद्देनज़र लिया गया है।
आयोग के सचिव डॉ. शिव कुमार बरनवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि परीक्षा में सम्मिलित होने वाले अनेक अभ्यर्थियों ने हालातों को देखते हुए परीक्षा टालने का आग्रह किया था। उनका मानना था कि वर्तमान स्थिति में पारदर्शी और निष्पक्ष परीक्षा का आयोजन संभव नहीं हो पाएगा। सचिव ने यह भी स्वीकार किया कि पेपर लीक जैसी गंभीर घटना के बाद आयोग की तैयारियां अभी उस स्तर तक नहीं पहुंच पाई हैं, जो कि एक सुरक्षित और निष्पक्ष परीक्षा आयोजन के लिए अपेक्षित होती हैं। अभ्यर्थियों के फीडबैक और मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के बाद ही यह निर्णय लिया गया है। परीक्षा की अगली तिथि आयोग द्वारा अलग से सूचित की जाएगी।
इस प्रकरण के केंद्र में रहा पेपर लीक विवाद अभी भी सुर्खियों में बना हुआ है। आयोग ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि 21 सितंबर को आयोजित परीक्षा के दौरान विवादित परीक्षा केंद्र में मोबाइल नेटवर्क जैमर सक्रिय था। परीक्षा कक्ष में सीसीटीवी कैमरे सुरक्षा और गोपनीयता की दृष्टि से बंद किए गए थे। आयोग के अनुसार, सीसीटीवी कैमरों की फुटेज तक कई लोगों की पहुंच होती है, और इसी के माध्यम से प्रश्न पत्र की तस्वीरें लीक होने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में परीक्षा अवधि के दौरान कैमरों को निष्क्रिय करना ही उचित समझा गया। आयोग ने ओएमआर शीट पर उत्तर अंकित न किए जाने के मामले में यह स्पष्ट किया कि यह किसी को अनुचित लाभ पहुंचाने का प्रयास नहीं था। राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के लिए न्यायिक जांच की संस्तुति के साथ-साथ एसआईटी और सीबीआई जांच की भी सहमति दे दी है।
इधर, पूरे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने दो टूक कहा कि राज्य सरकार नकल माफिया के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति पर काम कर रही है और उन्हें किसी भी सूरत में पनपने नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि प्रदेश में होने वाली सभी सरकारी भर्तियों में पूर्ण पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक सशक्त निगरानी तंत्र विकसित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत प्रत्येक भर्ती प्रक्रिया के लिए निगरानी समितियों का गठन किया जाएगा, जिनमें संबंधित आयोग के अधिकारियों के साथ पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी और आम युवाओं को भी शामिल किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लागू किया गया है, जिसका प्रभाव दिखने भी लगा है। लेकिन कुछ कोचिंग और नकल माफिया तत्व अब भी सक्रिय हैं, जिन्होंने हाल ही में एक बार फिर चीटिंग का प्रयास किया था। हालांकि सरकार ने तत्परता से कार्रवाई कर ऐसे प्रयासों को विफल किया।
मुख्यमंत्री ने इस दिशा में समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि जब तक आयोग, प्रशासन और समाज—विशेषकर युवाओं—का सक्रिय सहयोग नहीं होगा, तब तक इस प्रकार की विकृत प्रवृत्तियों पर पूरी तरह से अंकुश लगाना संभव नहीं होगा। इसलिए राज्य सरकार अब परीक्षाओं की निगरानी में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने जा रही है, ताकि नकल माफिया पर सामूहिक निगरानी और जवाबदेही के माध्यम से प्रभावी नियंत्रण किया जा सके।
राज्य में परीक्षा प्रणाली की शुचिता और पारदर्शिता की बहाली के लिए यह एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। जनता और विशेषकर युवाओं को अब आयोग और सरकार से यह उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और योग्य उम्मीदवारों को उनके परिश्रम का न्यायोचित प्रतिफल प्राप्त हो।





