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UKSSSC पेपर लीक: आठ दिन से उबल रहे युवाओं को CM धामी ने मनाया

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 1 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण में बीते आठ दिनों से आंदोलनरत बेरोजगार युवाओं को आखिरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी सूझबूझ और संवाद क्षमता से केवल पंद्रह मिनट में मना लिया। सोमवार की दोपहर जब खुद मुख्यमंत्री अचानक परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर पहुंचे, तो युवाओं के लिए यह किसी अप्रत्याशित घटनाक्रम से कम नहीं था। उनके सीधे संवाद और स्पष्ट आश्वासनों के बाद युवाओं ने अपना आंदोलन स्थगित करने की घोषणा कर दी।


दोपहर करीब सवा तीन बजे मुख्यमंत्री धामी, राजपुर विधायक खजानदास के साथ धरनास्थल पर पहुंचे। जैसे ही सीएम का काफिला वहां पहुंचा, उपस्थित युवाओं में हलचल मच गई। यह उनकी उम्मीदों से परे था कि राज्य का मुख्यमंत्री स्वयं उनके बीच आएगा। लेकिन धामी न केवल वहां पहुंचे, बल्कि किसी औपचारिकता या सुरक्षा घेरे के बिना सीधे युवाओं के बीच जाकर संवाद शुरू कर दिया।


मुख्यमंत्री ने युवाओं की बातों को पूरी गंभीरता से सुना। उन्होंने कोई राजनीतिक भाषण नहीं दिया, न ही कोई दिखावटी आश्वासन। जब युवाओं ने सीबीआई जांच की मांग रखी, तो उन्होंने तत्काल स्वीकृति दे दी और मौके पर ही संस्तुति की फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए। इसी तरह मुकदमों की वापसी और अन्य प्रमुख मांगों पर भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। हालांकि, परीक्षा को रद्द करने की मांग पर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के स्तर पर लिया जाएगा।


मुख्यमंत्री की यह पहल सिर्फ युवाओं के आंदोलन को समाप्त करने तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी अहम रहे। धामी ने इस कदम के जरिए न केवल युवाओं के विश्वास को जीता, बल्कि पार्टी के भीतर चल रही आलोचनाओं और विपक्ष की घेराबंदी को भी प्रभावशाली तरीके से जवाब दिया। पेपर लीक जैसे गंभीर मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति देकर उन्होंने यह संदेश दिया कि सरकार पारदर्शिता और न्याय की राह पर चलने को प्रतिबद्ध है।

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इससे पहले भी मुख्यमंत्री धामी ने कई ऐसे मौके पर जनता से जुड़े संवेदनशील विषयों पर त्वरित और प्रभावशाली फैसले लेकर सबको चौंकाया है। उनका यह अंदाज़ उन्हें एक अलग श्रेणी का नेता बनाता है — ऐसा नेता जो न केवल जनता की बात सुनता है, बल्कि ज़मीन पर उतर कर उनके साथ खड़ा भी होता है। सोमवार का यह घटनाक्रम उसी राजनीतिक शैली का प्रमाण था, जिसमें उन्होंने आंदोलनरत युवाओं के मन की बात समझी, उन्हें आश्वस्त किया और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया।


इस तरह, केवल पंद्रह मिनट का यह संवाद न केवल एक आंदोलन की समाप्ति का कारण बना, बल्कि सरकार और जनता के बीच संवाद की ताकत को भी रेखांकित करता है।

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