साहित्यकारों का सम्मान, मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित
- ANH News
- 15 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 16 सित॰

प्रदेश के छह प्रतिष्ठित साहित्यकारों को उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा आईआरडीटी सभागार में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान प्रदान किया। इस सम्मान से साहित्यकार शैलेश मटियानी, गिरीश तिवारी, शेरदा अनपढ़, हीरा सिंह राणा, सोमवारी लाल उनियाल और अतुल शर्मा सम्मानित हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मरणोपरांत शैलेश मटियानी, गिरीश तिवारी, शेरदा अनपढ़ और हीरा सिंह राणा को श्रद्धांजलि देते हुए सम्मानित किया, जबकि सोमवारी लाल उनियाल और अतुल शर्मा को भी उनके साहित्यिक योगदान के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड भाषा संस्थान के माध्यम से प्रदेश के बिखरे हुए साहित्य को संरक्षित, संकलित एवं पुनर्स्थापित करने के लिए निरंतर और ठोस प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण के लिए सतत पहल की जा रही है ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी समृद्ध भाषायी विरासत से गहराई से जुड़ी रह सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वजों द्वारा सौंपी गई साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विरासत केवल हमारे अतीत की धरोहर नहीं है, बल्कि यह हमारी पहचान और सभ्यता की मजबूत नींव है, जिसे संरक्षित रखना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है।
अपने वक्तव्य में मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की समृद्ध साहित्यिक परंपरा का गर्व के साथ उल्लेख किया और सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, शिवानी, शैलेश मटियानी, गिर्दा, शेरदा ‘अनपढ़’ और ‘हिरदा’ जैसे महान रचनाकारों को श्रद्धापूर्वक याद किया। उन्होंने कहा कि इन साहित्यकारों ने उत्तराखंड के जीवन, संघर्ष और संस्कृति को अपनी रचनाओं में जीवंत कर एक अमूल्य धरोहर छोड़ गई है। साथ ही उन्होंने वर्तमान युग के समकालीन रचनाकारों जैसे अतुल शर्मा, प्रसून जोशी और सोमवारी लाल उनियाल का भी उल्लेख किया, जो इस समृद्ध साहित्यिक परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में दो साहित्य ग्राम स्थापित करने की घोषणा भी की। इनमें से एक गढ़वाल मंडल और दूसरा कुमाऊं मंडल में होगा, जहां साहित्यकारों के लिए आवासीय सुविधाओं के साथ संगोष्ठी कक्ष और आधुनिक तकनीकी साधन उपलब्ध कराए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य उत्तराखंड को एक साहित्यिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना है, जिससे राज्य की साहित्यिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान को और भी मजबूती मिलेगी।
दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान के तहत, साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले साहित्यकारों को पांच लाख रुपए की पुरस्कार राशि भी प्रदान की जाती है, जो इस समारोह के दौरान वितरित की गई। इस आयोजन में भाषा मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक खजान दास, सचिव नीरज खैरवाल, भाषा संस्थान की निदेशक जसविंदर कौर, दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। समारोह का संचालन प्राचार्य डॉ. सुशील उपाध्याय ने किया। इस कार्यक्रम ने उत्तराखंड की साहित्यिक समृद्धि और भाषा संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूती प्रदान की है।





