कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद उत्तराखंड में FDA की लगातार कार्रवाई, इस दवा पर भी लगा बैन
- ANH News
- 9 अक्टू॰
- 2 मिनट पठन

राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के मामले सामने आने के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य में मिल रहे संदिग्ध दवाओं पर सख्ती बढ़ा दी है। इसी कड़ी में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) ने रेस्पिफ्रेश टीआर सिरप पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। यह कफ सिरप ब्रोमहेक्सिन एचसीएल और टरबुटालाइन सल्फेट जैसे घटकों से निर्मित है और अहमदाबाद की एक फार्मा कंपनी द्वारा बनाया जा रहा था। एफडीए ने सभी औषधि नियंत्रकों को इस दवा की बिक्री, वितरण और उपयोग के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
इससे पहले भी प्रदेश सरकार द्वारा कोल्ड्रिफ और डेक्सट्रोमेथॉर्फ़न हाइड्रोब्रोमाइड सिरप की बिक्री और उपयोग पर रोक लगाई जा चुकी है। इन दवाओं को लेकर देश के कई हिस्सों में गंभीर प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं, जिनमें सबसे संवेदनशील मामले बच्चों की मृत्यु के रहे हैं। इन घटनाओं को देखते हुए उत्तराखंड में एफडीए लगातार सतर्कता बरतते हुए सक्रिय रूप से औषधियों की जांच कर रहा है।
एफडीए के अपर आयुक्त और राज्य ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने जानकारी दी कि प्रदेशभर में प्रतिबंधित कफ सिरप के खिलाफ औचक निरीक्षण किए जा रहे हैं। दवा विक्रेताओं, स्टॉकिस्ट्स और थोक व्यापारियों के यहां छापेमारी कर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रतिबंधित दवाओं का कोई स्टॉक न बचा हो या बिक्री के लिए उपलब्ध न हो।
एफडीए ने राज्य के विभिन्न जिलों से 65 कफ सिरप के सैंपल इकट्ठा कर उन्हें देहरादून स्थित राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा है। इन सैंपलों की गुणवत्ता की जांच के लिए 15 दिन की समय सीमा निर्धारित की गई है, ताकि आवश्यकतानुसार दोषी उत्पादकों, वितरकों या विक्रेताओं के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जा सके।
प्रदेश सरकार का यह कदम न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिहाज़ से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राज्य अपने नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। एफडीए की यह सतर्कता और त्वरित कार्रवाई भविष्य में संभावित स्वास्थ्य संकटों को रोकने की दिशा में एक अहम प्रयास मानी जा रही है।





