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उत्तराखंड बजट सत्र 2025: राज्यपाल के अभिभाषण में 43 विभागों का रोडमैप, विपक्ष का वॉकआउट

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 19 फ़र॰
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उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ। एक घंटे तक चले इस अभिभाषण में राज्यपाल ने राज्य सरकार की विकास योजनाओं का विस्तृत खाका प्रस्तुत किया, साथ ही भविष्य की दिशा और रोडमैप पर भी चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कुल 43 विभागों की योजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि आगामी वित्तीय वर्ष में कैसे ये योजनाएं जनता तक पहुंचेंगी और राज्य के विकास को गति मिलेगी।


राज्यपाल ने अपने अभिभाषण की शुरुआत समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से की, जिसे उन्होंने महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने वाला एक महत्वपूर्ण कानून बताया। इसके बाद उन्होंने कई प्रमुख योजनाओं और कानूनों का उल्लेख किया, जिनमें उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम 2024, ऑपरेशन स्माइल के तहत ऑपरेशन मुक्ति, साइबर अपराध से निपटने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930, और यातायात प्रबंधन के लिए रियल टाइम ट्रैफिक एडवाइजरी शामिल हैं।


राज्यपाल ने उत्तराखंड की खेल नीति को भी सराहा, जिसमें राज्य के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय खेलों में 100 से अधिक पदक जीतने का कीर्तिमान हासिल किया। उन्होंने उदीयमान खिलाड़ियों के लिए आयोजित किए जाने वाले खेल महाकुंभ, मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि और राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय खेलों में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने की योजना पर भी बात की।


उन्होंने राज्य सरकार की सामाजिक योजनाओं का भी जिक्र किया, जिसमें परिवार पहचानपत्र योजना और राज्य की स्टार्टअप नीति के तहत किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया। राज्य की आर्थिक प्रगति पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने बताया कि राज्य गठन के समय प्रति व्यक्ति आय 16,232 रुपये थी, जो अब बढ़कर 2,46,178 रुपये तक पहुंच गई है। यह राज्य की निरंतर प्रगति का प्रमाण है, जैसा कि उन्होंने बताया।


वहीं, राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विधानसभा में विरोध का माहौल भी उत्पन्न हुआ। विपक्षी विधायकों ने सत्र की अवधि को लेकर आपत्ति जताई और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि इतनी कम अवधि में जनता के मुद्दों पर चर्चा संभव नहीं हो पाएगी। इसके बाद विपक्षी विधायक वेल में आ गए और सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग की, जिसके बाद उन्होंने विरोधस्वरूप सदन से बहिर्गमन कर दिया।


विपक्ष का आरोप था कि सरकार जानबूझकर सत्र की अवधि कम करना चाहती है, ताकि जनता के मुद्दों को उठाने से बचा जा सके। वहीं, सत्ता पक्ष के विधायक राज्य सरकार की उपलब्धियों पर मेज थपथपा रहे थे, जबकि विपक्षी विधायक नारेबाजी कर रहे थे। भोजनावकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तो विपक्ष ने फिर से सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग उठाई। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया।


राज्यपाल का अभिभाषण अब सदन की कार्यवाही का हिस्सा बन चुका था, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य मंत्री भी मौजूद थे।

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