धामी सरकार का बड़ा फैसला: शहीद परिवारों को 1.5 करोड़ तक सम्मान राशि, पूर्व अग्निवीरों को आरक्षण
- ANH News
- 2 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 3 सित॰

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की सैन्य परंपरा को नया आयाम देते हुए सेवामुक्त अग्निवीरों और शहीद सैनिकों के परिजनों के हित में एक ऐतिहासिक एवं दूरदर्शी निर्णय लिया है। यह निर्णय न केवल राज्य के हजारों युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करेगा, बल्कि उन्हें गर्व और सम्मान की भावना से भी जोड़ता है।
पूर्व अग्निवीरों को वर्दीधारी पदों पर मिलेगा 10% क्षैतिज आरक्षण
राज्य सरकार ने “उत्तराखंड राज्याधीन सेवाओं में समूह-ग की सीधी भर्ती के वर्दीधारी पदों पर सेवायोजन हेतु क्षैतिज आरक्षण नियमावली–2025” को विधिवत जारी कर दिया है। इसके अंतर्गत अब सेवामुक्त अग्निवीरों को विभिन्न वर्दीधारी पदों पर 10% क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिलेगा।
इन पदों में शामिल हैं:
पुलिस आरक्षी (नागरिक/पीएसी)
उप निरीक्षक
प्लाटून कमांडर (पीएसी)
अग्निशामक एवं अग्निशमन द्वितीय अधिकारी
बंदी रक्षक, उप कारापाल
वन आरक्षी एवं वन दरोगा
आबकारी सिपाही
प्रवर्तन सिपाही
सचिवालय रक्षक
इसके अतिरिक्त, टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में भी पूर्व अग्निवीरों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
शहीद परिवारों को मिलेगा अब 1.5 करोड़ तक की अनुग्रह राशि
राज्य सरकार ने शहीद सैनिकों एवं वीर बलिदानियों के परिजनों के लिए अनुग्रह राशि में अभूतपूर्व वृद्धि की है:
शहीद सैनिकों के परिजनों को मिलने वाली राशि अब 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी गई है।
परमवीर चक्र विजेताओं के परिजनों को दी जाने वाली राशि 50 लाख से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये कर दी गई है।
साथ ही, वीरगति को प्राप्त सैनिकों के परिवारों से एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।
मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण: 'अग्निवीर हमारे गौरव हैं'
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस निर्णय को राज्य के सैन्य गौरव को नमन करते हुए "पूर्व अग्निवीरों को सम्मान और रोजगार देने की दिशा में एक ठोस कदम" बताया। उन्होंने कहा:
'देश की सेवा कर लौटे पूर्व अग्निवीर, उत्तराखंड का गौरव हैं। उनका भविष्य सुरक्षित करना, उन्हें सम्मान देना और सेवायोजन का अवसर उपलब्ध कराना हमारी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है।'
सैन्यधाम: उत्तराखंड की वीरता को समर्पित एक अनुपम धरोहर
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उत्तराखंड की गौरवशाली सैन्य परंपरा को श्रद्धांजलि देते हुए देहरादून में “पंचम धाम” के रूप में सैन्यधाम का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। यह धाम शहीदों की स्मृति को सदैव जीवित रखेगा। नई पीढ़ी को देशभक्ति, बलिदान और सैन्य शौर्य की प्रेरणा देगा।
उत्तराखंड को देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि के रूप में स्थापित करने वाला प्रतीक स्थल बनेगा।
एक सैन्य बहुल राज्य की सैन्य परंपरा को सलाम
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उत्तराखंड ऐसा राज्य है जहां प्रत्येक परिवार से कोई न कोई सदस्य भारतीय सेना, अर्धसैनिक बल या पुलिस में देश सेवा में समर्पित रहता है। यह निर्णय राज्य की वीरता की परंपरा को सम्मान देता है। युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करेगा। सेवानिवृत्त अग्निवीरों को समाज में सम्मानजनक पुनर्स्थापन प्रदान करेगा।
उत्तराखंड सरकार का यह कदम केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि राज्य के वीरों के प्रति सम्मान, संवेदना और कृतज्ञता की मिसाल है। इससे न केवल पूर्व अग्निवीरों का भविष्य सुरक्षित होगा, बल्कि शहीद परिवारों को भी वह सम्मान मिलेगा जिसके वे सच्चे अधिकारी हैं।





