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त्योहार हो या त्रासदी, हर मौके पर दिखती है धामी की हाज़िरी, CM ने आपदा प्रभावितों के साथ मनाई दीवाली

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 23 अक्टू॰
  • 3 मिनट पठन
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दीपोत्सव के पावन अवसर पर जब समूचा उत्तराखंड अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव मना रहा था, दीपों की झिलमिलाहट से नगर-नगर और घर-आंगन आलोकित हो रहे थे, तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक अलग ही संवेदनशील और मानवीय स्वरूप सामने आया। जहां एक ओर आमजन दीपों की रोशनी में खुशियां मना रहे थे, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री उन परिवारों के बीच पहुंचे, जिनकी जिंदगी हाल ही की आपदाओं से अंधेरे में डूबी हुई थी। उन्होंने देहरादून के सहस्रधारा क्षेत्र के कार्लीगाड़ के मझाड़ा गांव में जाकर आपदा से पीड़ित लोगों का हाल जाना और उन्हें पुनर्वास व पुनर्निर्माण कार्यों में शीघ्रता का भरोसा दिलाया। ऐसे समय में जब अधिकांश लोग अपने परिवारों संग पर्व मना रहे होते हैं, मुख्यमंत्री का पीड़ितों के बीच जाकर उन्हें आश्वस्त करना न केवल उनके संवेदनशील नेतृत्व का परिचायक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे जनसरोकारों को कितनी गंभीरता से लेते हैं।

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धामी का यह मानवीय पक्ष ही नहीं, बल्कि उनका राजनीतिक संतुलन और परिपक्वता भी दीपावली के इस पर्व पर विशेष रूप से देखने को मिली। उन्होंने इस अवसर पर न केवल अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भेंट की, बल्कि राजनीतिक भिन्नता को दरकिनार करते हुए विपक्ष के दिग्गज नेताओं का भी सम्मानपूर्वक अभिवादन किया। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोश्यारी, डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक', त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के आवासों पर जाकर उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दीं। इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से भी आत्मीयता के साथ मुलाकात की। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व मेरठ में हरीश रावत के वाहन का सड़क दुर्घटना में शामिल होना चिंता का विषय बना था, जिसकी जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने तुरंत उन्हें फोन कर उनका हालचाल जाना था। बाद में दीपावली से पहले जब वे आमने-सामने मिले, तो उन्होंने सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में बातचीत कर राजनीतिक मर्यादा व संवेदनशीलता का परिचय दिया।

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धामी का यह आचरण उनके नेतृत्व के उस पहलू को दर्शाता है जिसमें व्यक्तिगत रिश्ते, राजनीतिक मतभेदों से ऊपर रखे जाते हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी से मिलकर न केवल दीपावली की शुभकामनाएं दीं, बल्कि उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेकर आदर भाव भी प्रकट किया। यह विनम्रता और वरिष्ठों के प्रति सम्मान उनके व्यक्तित्व का एक अहम हिस्सा बनती जा रही है, जो उन्हें एक परिपक्व और दूरदर्शी राजनेता के रूप में स्थापित करती है।


दीपावली जैसे पर्व पर जब मुख्यमंत्री खुद आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचते हैं और साथ ही वरिष्ठों से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, तो यह जननेता और कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में उनकी दोहरी पहचान को सशक्त बनाता है। वहीं, वे संगठनात्मक जिम्मेदारियों से भी अछूते नहीं रहे। उन्होंने भाजपा के सभी जिलाध्यक्षों से वर्चुअल संवाद कर उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दीं और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने का आह्वान किया। यह संवाद केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सक्रिय नेतृत्व का प्रमाण था, जो पर्वों के समय भी संगठनात्मक दृढ़ता बनाए रखने पर बल देता है।


नवरात्रि से लेकर दीपावली तक मुख्यमंत्री धामी ने ‘स्वदेशी अपनाओ’ अभियान को भी मजबूती से आगे बढ़ाया। वे कई बार स्वयं बाजार जाकर स्थानीय और स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी करते देखे गए, जिससे उन्होंने जनमानस को यह संदेश देने का प्रयास किया कि अपने देश में निर्मित वस्तुओं को अपनाकर ही हम आत्मनिर्भर भारत की ओर प्रभावी कदम बढ़ा सकते हैं। यह पहल केवल प्रतीकात्मक नहीं रही, बल्कि आमजन को प्रेरित करने वाली थी।


पुष्कर सिंह धामी का यह समग्र प्रयास – संवेदनशीलता, राजनीतिक संतुलन, संगठनात्मक जिम्मेदारी और आत्मनिर्भर भारत के प्रति प्रतिबद्धता – एक युवा मुख्यमंत्री के रूप में उनकी छवि को केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं रखता, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उन्हें एक उभरते हुए परिपक्व नेता के रूप में स्थापित करता है। दीपावली पर उनका यह व्यापक दृष्टिकोण यह सिद्ध करता है कि वे केवल प्रशासनिक जिम्मेदारियां निभाने वाले मुखिया नहीं, बल्कि जन-भावनाओं से गहराई तक जुड़े एक सच्चे जनसेवक हैं।

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