वित्तीय प्रबंधन में उत्तराखंड ने गाड़ा झंडा, मिला हिमालयी राज्यों में दूसरा स्थान
- ANH News
- 29 अक्टू॰
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उत्तराखंड: वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में उत्तराखंड ने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है और अब यह देश के श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल हो गया है। अरुण जेटली राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान (एजेएनआईएफएम) द्वारा जारी वित्तीय वर्ष 2023-2024 की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड हिमालयी राज्यों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर रहा है, जबकि अरुणाचल प्रदेश प्रथम और मेघालय तीसरे स्थान पर हैं।
एजेएनआईएफएम, जो कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन एक प्रतिष्ठित संस्थान है, देश के विभिन्न राज्यों की वित्तीय नीतियों, प्रबंधन और अनुशासन का गहन मूल्यांकन करता है। यह संस्थान सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन, राजकोषीय नीति और प्रशासनिक सुधारों के क्षेत्र में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण प्रदान करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड ने वित्तीय अनुशासन, राजकोषीय संतुलन और संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। राज्य की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 3,32,998 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। इसके साथ ही राज्य की प्रति व्यक्ति आय 2,46,178 रुपये दर्ज की गई है, जो राज्य की आर्थिक स्थिति में निरंतर सुधार का संकेत देती है।
शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्रों में भी राज्य ने उल्लेखनीय निवेश किया है। रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड ने अपने कुल व्यय का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा इन दोनों महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर खर्च किया है। यह सरकार की जनकल्याण केंद्रित नीतियों की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
राज्य के राजस्व संग्रह की स्थिति भी लगातार मजबूत हुई है। कोविड महामारी से पूर्व वित्तीय वर्ष 2020 में उत्तराखंड अपने कुल राजस्व का आधे से अधिक हिस्सा स्वयं के संसाधनों से अर्जित करने में सक्षम था। इसके बाद से राज्य का स्वयं का राजस्व हिस्सा लगातार बढ़ता गया है। वित्त वर्ष 2020 से राज्य के कर राजस्व में 14 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की गई है। इस दौरान जीएसटी से 14 प्रतिशत, पेट्रोलियम व मदिरा से नौ प्रतिशत, स्टांप एवं पंजीकरण शुल्क से 23 प्रतिशत, जबकि राज्य उत्पाद शुल्क से 10 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है।
राजस्व प्रबंधन में सुधार का सीधा प्रभाव राज्य की वित्तीय स्थिरता पर पड़ा है। वित्तीय वर्ष 2020 तक जहां उत्तराखंड को राजस्व घाटे का सामना करना पड़ रहा था, वहीं 2021 में राज्य ने 1,113 करोड़ रुपये का राजस्व अधिशेष दर्ज किया। यह अधिशेष वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 5,310 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस सकारात्मक प्रवृत्ति ने राज्य को न केवल राजस्व अधिशेष बनाए रखने में मदद की है, बल्कि प्राथमिक खाते में भी अधिशेष उत्पन्न किया है। परिणामस्वरूप, राज्य का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020 के 7,657 करोड़ रुपये से घटकर 2023 में केवल 2,949 करोड़ रुपये रह गया है।
रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि उत्तराखंड ने अपने राजस्व व्यय पर भी बेहतर नियंत्रण प्राप्त किया है। वित्त वर्ष 2024 तक राज्य का वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर व्यय उसके कुल राजस्व व्यय का लगभग 58 प्रतिशत रहेगा, जो वित्त वर्ष 2019 के 66.5 प्रतिशत की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम है।
राज्य सरकार ने वित्तीय प्रबंधन में सुधार के लिए लगातार नीतिगत और संरचनात्मक कदम उठाए हैं। आधुनिक वित्तीय तकनीकों का उपयोग, पारदर्शिता में वृद्धि और राजस्व स्रोतों के विविधीकरण जैसे उपायों ने इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि एजेएनआईएफएम की इस रिपोर्ट में उत्तराखंड को हिमालयी राज्यों में दूसरा स्थान प्राप्त होना प्रदेश के लिए गर्व की बात है। यह उपलब्धि राज्य सरकार के वित्तीय अनुशासन, सुदृढ़ नीति निर्माण और पारदर्शी शासन की दिशा में किए गए निरंतर प्रयासों का परिणाम है।
इस प्रकार, उत्तराखंड ने यह सिद्ध कर दिया है कि सुदृढ़ वित्तीय प्रबंधन और दूरदर्शी नीतियों के बल पर पहाड़ी राज्य भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और मजबूत बन सकते हैं।





