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FDA की बड़ी कार्रवाई: उत्तराखंड में अवैध कफ सिरप पर रोक, 12 मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस रद्द

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 11 अक्टू॰
  • 4 मिनट पठन

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उत्तराखंड में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने मेडिकल स्टोर्स पर बड़े पैमाने पर छापेमारी कर दवाओं के भंडारण और बिक्री में पाई गई खामियों को लेकर कड़ी कार्रवाई की है। राज्य में दवाओं का सही तरीके से स्टॉक मेंटेन न करने तथा बिना डॉक्टर के पर्चे के दवा बेचने की शिकायतों के आधार पर अब तक 12 मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं। यह कदम बच्चों की सेहत और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उठाया गया है।


देशभर में कोल्ड्रिफ कफ सिरप की वजह से हुए बच्चों की मौतों के बाद सभी राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में इस दवा से संबंधित घटनाएं अधिक सामने आई हैं, जिसके चलते उत्तराखंड की स्वास्थ्य विभाग ने भी कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि उत्तराखंड में कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री नहीं होती, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से इस दवा को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया है। राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीमें लगातार मेडिकल स्टोर्स का औचक निरीक्षण कर रही हैं तथा कफ सिरप सहित अन्य दवाओं के नमूने एकत्रित कर उनकी गुणवत्ता जांच के लिए भेज रही हैं।


प्रदेश भर में जारी इस जांच अभियान के दौरान अब तक 148 नमूने प्रयोगशालाओं को भेजे जा चुके हैं। बुधवार को देहरादून, कोटद्वार, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के विभिन्न मेडिकल स्टोर्स से कुल 29 नमूने लिए गए। छापेमारी के दौरान दर्जनों मेडिकल स्टोर्स को नोटिस जारी किए गए और कई स्थानों पर संदिग्ध दवाओं का स्टॉक जब्त कर दुकानों को सील कर दिया गया। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अवैध, असुरक्षित और निम्न गुणवत्ता वाली कफ सिरप दवाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

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देहरादून में सबसे व्यापक छापेमारी की गई, जहां चकराता रोड, किशननगर चौक, बल्लूपुर चौक, कांवली रोड, बल्लीपुर चौक और प्रेमनगर जैसे क्षेत्रों के मेडिकल स्टोर्स का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान बच्चों को दी जाने वाली खांसी और सर्दी-जुकाम की दवाओं की बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी गई और जिन स्टोर्स में ये दवाएं मिलीं, उन्हें सील कर दिया गया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कई दुकानदारों ने पहले ही स्वयं संज्ञान लेते हुए इन दवाओं को हटाया था। टीम ने 11 सिरप के नमूने जांच के लिए लिए, जिनमें Coldrif, Respifresh-TR और Relife जैसे सिरप मेडिकल स्टोर्स में उपलब्ध नहीं पाए गए।


उधम सिंह नगर जिले में औषधि विभाग की टीम ने कार्रवाई तेज करते हुए विभिन्न क्षेत्रों से दस पेडियाट्रिक कफ सिरप के नमूने लिए। इनमें Dextromethorphan Hydrobromide, Chlorpheniramine Maleate और Phenylepherine Hydrochloride जैसे तत्व पाए गए हैं। जिले से कुल 40 कफ सिरप के नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे जा चुके हैं। इसी तरह हरिद्वार और रुड़की में भी औषधि विभाग की टीमों ने सख्त कार्रवाई की है। हरिद्वार जिले के एयरन हॉस्पिटल, विनय विशाल हॉस्पिटल और मेट्रो हॉस्पिटल से 15 नमूने लिए गए हैं। हरिद्वार जिले से अब तक कुल 39 नमूने जांच के लिए भेजे जा चुके हैं।


नैनीताल जनपद के हल्द्वानी में भी एफडीए की कार्रवाई जारी है। सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल की ड्रग स्टोर से तीन कफ सिरप के नमूने गुणवत्ता परीक्षण के लिए देहरादून भेजे गए हैं। पौड़ी जिले के कोटद्वार में टीम ने जानलेवा घोषित Respifresh TR सिरप के कई मेडिकल स्टोर्स से स्टॉक जब्त किया है। अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया और चांदीखेत में छह मेडिकल स्टोर्स की जांच के दौरान Respifresh TR सिरप की 12 बोतलें जब्त की गईं, जो पहले ही गैर-उपयुक्त गुणवत्ता वाली घोषित की जा चुकी हैं।


रुद्रप्रयाग में औषधि निरीक्षक टीम ने चार नमूने संकलित किए हैं और उनके गुणवत्ता परीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उत्तरकाशी जिले में भी चार प्रकार के कफ सिरपों के नमूने जांच के लिए लिए गए हैं। मेडिकल स्टोर संचालकों को सख्त चेतावनी दी गई है कि Dextromethorphan Hydrobromide Syrup, Coldrif, Respifresh TR और Relife सिरप को न रखें और न बेचें। साथ ही, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न देने और वयस्कों को केवल डॉक्टर की सलाह पर ही दवाएं देने के निर्देश जारी किए गए हैं।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे मामले में स्पष्ट कहा है कि बच्चों के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उनकी सरकार बच्चों की जान से खिलवाड़ करने वाले किसी भी तत्व के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा पर किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करने का आश्वासन दिया। यह अभियान बच्चों के जीवन की सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।


स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने भी बताया कि राज्यभर में एफडीए की टीमें पूरी तरह सक्रिय हैं और जिन सिरपों को जांच के लिए भेजा गया है, उनकी रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने मेडिकल स्टोर्स को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि संदिग्ध और गैर-मानक बैच की औषधियां तुरंत हटाई जाएं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।


इस तरह उत्तराखंड सरकार ने न केवल बच्चों की जान बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं, बल्कि पूरे प्रदेश में दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सख्त सतर्कता भी बरती जा रही है।

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