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अब आग से डर नहीं! उत्तराखंड के वनकर्मियों के लिए खास फायरप्रूफ सूट

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 23 सित॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 24 सित॰

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हर साल उत्तराखंड सहित देश के कई हिस्सों में जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं, जो न केवल पर्यावरण और जैव विविधता के लिए विनाशकारी होती हैं, बल्कि वन विभाग के कर्मियों की जान पर भी बन आती है। ऐसी घटनाओं से निपटने और वन कर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) ने एक महत्वपूर्ण पहल की है।


संस्थान ने एक ऐसा विशेष अग्निरोधी फायर सूट विकसित किया है, जो जंगल की आग की तीव्र गर्मी से वन कर्मचारियों को बचाने में सहायक होगा। यह सूट केवल आग से सुरक्षा ही नहीं देता, बल्कि इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि अत्यधिक तापमान में भी यह असर नहीं छोड़ता और उपयोगकर्ता को हीट इंजरी से बचाता है। इसके साथ ही, हल्के लेकिन टिकाऊ औजार भी तैयार किए गए हैं जो जंगल में आग बुझाने के दौरान वनकर्मियों के काम को सरल और सुरक्षित बनाएंगे।

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यह प्रयास वन अनुसंधान संस्थान द्वारा वर्ष 2020 में शुरू किए गए "फॉरेस्ट फायर रिसर्च एंड नॉलेज मैनेजमेंट प्रोजेक्ट" का ही हिस्सा है। इस परियोजना के तहत देश के उन इलाकों की पहचान की गई जहाँ वनाग्नि की घटनाएं बार-बार होती हैं और जहां पर्यावरणीय दृष्टिकोण से स्थिति अत्यंत संवेदनशील मानी जाती है। आग लगने के पीछे के कारणों और उसकी वजह से मृदा, वनस्पति और जैव विविधता पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन किया गया।


इसी शोध के आधार पर वन कर्मियों की सुरक्षा के लिए फायर सूट, फायर हेलमेट, फायर बूट, दस्ताने (गल्ब्स) और विशेष मोजे तैयार किए गए। इस तकनीकी विकास में देश की प्रमुख रक्षा अनुसंधान संस्था डीआरडीओ की इकाई सीएफईईएस (अग्नि विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा केंद्र) की विशेष भूमिका रही। उनके वैज्ञानिकों ने इस फायर सूट को वन कर्मियों की जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया, ताकि यह कठिन परिस्थितियों में भी प्रभावी साबित हो सके।


वन संवर्धन एवं प्रबंधन विभाग के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, डॉ. अमित कुमार वर्मा के अनुसार, सीएफईईएस द्वारा विकसित यह अग्निरोधी सूट वनकर्मियों को घातक गर्मी और आग की चपेट में आने से बचाने में अत्यंत कारगर साबित होगा। जो फायर बूट तैयार किया गया है, वह भी अत्यधिक तापमान सहने में सक्षम है, जिससे कर्मियों के पैरों को पूरी तरह सुरक्षा मिल सके।


इस अग्निरोधी सूट और उपकरणों को वर्ष 2024 के वनाग्नि काल के दौरान नैनीताल वन प्रभाग में फील्ड ट्रायल के लिए इस्तेमाल किया गया। ट्रायल के दौरान खुद वन कर्मियों से फीडबैक लिया गया और उनके सुझावों के आधार पर सूट में आवश्यक सुधार और बदलाव किए गए।


पिछले वर्षों की घटनाओं, विशेषकर बिनसर अभयारण्य में 2024 में हुई भीषण आग जिसमें कई वन कर्मियों की मृत्यु हो गई थी, ने यह साफ कर दिया कि केवल आग बुझाने की व्यवस्था ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि फील्ड में काम कर रहे कर्मियों की सुरक्षा भी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।


वन अनुसंधान संस्थान की यह पहल इसी दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है, जो भविष्य में वन कर्मियों की जान बचाने के साथ-साथ जंगल की आग पर अधिक प्रभावी नियंत्रण पाने में सहायक होगी।

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