उत्तराखंड को पर्यटन के क्षेत्र में मिले दो 'गोल्डन बैन्यान अवार्ड'
- ANH News
- 14 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 15 सित॰

नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में उत्तराखंड को पर्यटन के क्षेत्र में दो प्रतिष्ठित "गोल्डन बैन्यान अवार्ड" (स्वर्ण वटवृक्ष पुरस्कार) से नवाज़ा गया है, जिससे राज्य की धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान को नई ऊँचाई मिली है। यह सम्मान देश की प्रमुख पत्रिका ‘द वीक’ द्वारा आयोजित हेरिटेज अवार्ड समारोह में प्रदान किए गए, जिसमें देशभर के ऐतिहासिक स्थलों, परंपराओं और पर्यटन मॉडल्स को परखा गया।
केंद्रीय पर्यटन एवं सांस्कृतिक मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा यह सम्मान उत्तराखंड पर्यटन विभाग के निदेशक दीपक खंडूरी को सौंपा गया, जिन्होंने इसे उत्तराखंड की जनता, पर्यटकों और राज्य की सांस्कृतिक विरासत से जुड़े सभी सहयोगियों को समर्पित करते हुए इसे एक साझा उपलब्धि बताया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि ये पुरस्कार न केवल उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन स्थलों की महत्ता को रेखांकित करते हैं, बल्कि इस बात का भी प्रमाण हैं कि राज्य ने विरासत संरक्षण और सतत पर्यटन प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य किया है।
उत्तराखंड को पहला सम्मान ऋषिकेश की गंगा आरती के लिए मिला, जिसे "रिवरसाइड हेरिटेज टूरिज्म" श्रेणी में चुना गया। यह गंगा आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि संस्कृति, आस्था और प्रकृति के अनूठे संगम का प्रतीक है। हर शाम लक्ष्मण झूला और त्रिवेणी घाट के किनारे होने वाली यह आरती हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सम्मोहित करती है। यह पुरस्कार इस धार्मिक आयोजन की संवेदनशील प्रस्तुति, स्थानीय भागीदारी, और पर्यटन में उसकी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देता है।
दूसरा पुरस्कार राज्य की चारधाम यात्रा को मिला, जिसे "बेस्ट टूरिस्ट सर्किट/ट्रेल" की श्रेणी में सम्मानित किया गया। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा को एक व्यवस्थित, सुरक्षित और भावनात्मक रूप से गूढ़ पर्यटक परिक्रमा के रूप में विकसित किया गया है। यह पुरस्कार चारधाम यात्रा के सुचारु संचालन, तीर्थयात्रियों के अनुभव को समृद्ध बनाने वाली व्यवस्थाओं और अत्याधुनिक प्रबंधन मॉडल की सराहना का प्रतीक है।
ये दोनों पुरस्कार न केवल उत्तराखंड के पर्यटन को प्रेरणा देते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि कैसे एक राज्य अपनी आध्यात्मिक धरोहर, प्राकृतिक सौंदर्य और स्थानीय संस्कृति को संतुलित करते हुए पर्यटन क्षेत्र में राष्ट्रव्यापी उत्कृष्टता की मिसाल बन सकता है। यह उपलब्धि राज्य के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है, जहाँ पर्यटन सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि एक संवेदनशील अनुभव, संरक्षण का माध्यम और सांस्कृतिक संवाद बन चुका है।





