उत्तराखंड में दुर्गम इलाकों के लिए बनेगा नया विकास मॉडल: मंत्री सुबोध उनियाल
- ANH News
- 7 घंटे पहले
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उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र के समापन अवसर पर संसदीय कार्यमंत्री सुबोध उनियाल ने राज्य के विकास और जनहित से जुड़े कई अहम मुद्दों पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि सरकार दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए एक विशेष निर्माण मॉडल तैयार करने जा रही है, ताकि इन इलाकों में बुनियादी ढांचे का काम अधिक प्रभावी और व्यावहारिक रूप से किया जा सके। उनका कहना था कि मैदान की तुलना में पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण कार्यों की लागत अधिक आती है, इसलिए इन क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक अलग मॉडल बनाना आवश्यक है।
सुबोध उनियाल ने सदन में संविदाकर्मियों और उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर चल रही प्रक्रिया पर भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस विषय पर दो बार कैबिनेट में चर्चा हो चुकी है, लेकिन कटऑफ तिथि को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि नियमितीकरण से जुड़ी नियमावली का प्रस्ताव शीघ्र ही कैबिनेट के समक्ष फिर से लाया जाएगा, ताकि कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों का समाधान हो सके।
इसी के साथ उन्होंने राज्यभर में नजूल भूमि पर बसे भूमिहीन परिवारों को मालिकाना हक देने के संबंध में चल रही प्रक्रिया का भी उल्लेख किया। इस विषय पर गठित कैबिनेट उपसमिति जल्द ही अपना निर्णय देगी। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस दिशा में संवेदनशील और सकारात्मक दृष्टिकोण रखती है, ताकि वर्षों से नजूल भूमि पर रह रहे लोगों को स्थायी स्वामित्व अधिकार मिल सकें।
सत्र के तीसरे दिन सत्ता पक्ष के विधायकों ने जहां राज्य सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं पर प्रकाश डाला, वहीं विपक्षी विधायकों ने पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यों का उल्लेख करते हुए मौजूदा परिस्थितियों पर चिंता जताई। इस बहस के बीच संसदीय कार्यमंत्री सुबोध उनियाल ने सदन में सरकार का पक्ष रखा और कहा कि विशेष सत्र के दौरान जो वाद-विवाद हुआ, वह राज्यहित में नहीं था। उन्होंने सभी दलों से आग्रह किया कि उत्तराखंड की राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन राज्यहित सर्वोपरि होना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि इस विशेष सत्र का उद्देश्य यह तय करना है कि राज्य के विकास के लिए एक ऐसा स्थायी रोडमैप तैयार किया जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सरकार किसी भी दल की क्यों न हो, विकास की गति अवरुद्ध न हो और राज्य निरंतर प्रगति की दिशा में आगे बढ़े।
सुबोध उनियाल ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के ऐतिहासिक संदर्भों को याद करते हुए कहा कि यह आंदोलन जनता की आकांक्षाओं से उपजा था। जब केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर सहमति बन गई थी, तब भी कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय एन. डी. तिवारी द्वारा किए गए कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किस कारण से उन्हें चुनाव लड़ने से रोका गया और राज्य में अस्थिरता लाने की प्रक्रिया क्यों शुरू हुई, जिसने विकास की रफ्तार को प्रभावित किया।
उन्होंने राज्य आंदोलन के दौरान हुई दुखद घटनाओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश में अत्याचारों पर संज्ञान लेना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होती है, लेकिन मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा कांड और मसूरी गोलीकांड जैसी घटनाओं पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि वे कौन लोग थे जिन्होंने आंदोलन के मंच पर पथराव कर राज्य आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की।
अंत में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने संसदीय कार्यमंत्री के प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की।
इस प्रकार, विशेष सत्र का समापन कई महत्वपूर्ण घोषणाओं, विमर्शों और भविष्य की दिशा तय करने वाले संदेशों के साथ हुआ, जिसने उत्तराखंड की विकास यात्रा के अगले चरण के लिए एक नई रूपरेखा प्रस्तुत की।





