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उत्तराखंड में पशुओं की एंटीबायोटिक और एंटीवायरल दवाओं पर रोक, FDA ने जारी किया आदेश

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 13 अक्टू॰
  • 1 मिनट पठन
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उत्तराखंड में पशुओं के लिए उपयोग की जाने वाली 34 दवाओं पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य के खाद्य सुरक्षा एवं ड्रग्स प्रशासन ने इस संबंध में आदेश जारी कर पशुओं को दी जाने वाली कई रोगाणुरोधी दवाओं के आयात, निर्माण, बिक्री एवं वितरण पर रोक लगा दी है।


ड्रग कंट्रोलर एवं एफडीए के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 23 सितंबर को जारी किए गए पत्र के अनुसार यह प्रतिबंध लागू किया गया है। इन दवाओं में 15 एंटीबायोटिक, 18 एंटीवायरल और एक संक्रमण विरोधी दवा शामिल है, जिनका पशुओं के उपचार में इस्तेमाल किया जाता था।


प्रतिबंधित एंटीबायोटिक दवाओं की सूची में यूरिडोपेनिसिलिन, सेफ्टोबिप्रोल, सेफ्टारोलाइन, साइडरोफोर सेफलोस्पोरिन, कार्बापेनेम्स, पेनेम्स, मोनोबैक्टम्स, ग्ल्य्कोपेप्टिड्स, लिपोपेप्टाइड्स, ऑक्साजोलिडिनोन्स, फिडैक्सोमिसिन, प्लाजोमिसिन, ग्लाइसिलसाइक्लिन्स, एरावासाइक्लिन और ओमाडासाइक्लिन जैसी दवाएं शामिल हैं, जिनका उत्पादन और वितरण अब प्रतिबंधित कर दिया गया है।


साथ ही, 18 एंटीवायरल दवाओं पर भी रोक लगाई गई है, जिनमें अमैंटाडाइन, बालोक्साविर मार्बॉक्सिल, सेल्गोसिविर, फेविपिराविर, गैलिडेसिविर, लैक्टिमिडोमाइसिन, लैनिनामिवीर, मेथिसाजोन/मेटिसाजोन, मोलनुपिराविर, निटाजोक्सानाइड, ओसेल्टामिवीर, पेरामिविर, रिबाविरिन, रिमांटाडाइन, टिजोक्सानाइड, ट्रायजाविरिन, उमिफेनोविर और जानामिवीर शामिल हैं। इसके अतिरिक्त संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली एंटी प्रोटोजॉल्स दवा निटाजोक्सानाइड पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।


यह निर्णय पशु स्वास्थ्य और सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है ताकि दवाओं के अनुचित और अवैध उपयोग को रोका जा सके और पशुपालन क्षेत्र में दवाओं की गुणवत्ता तथा नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके। प्रशासन इस दिशा में कड़े कदम उठाने के लिए सतर्क है और प्रतिबंधित दवाओं के कारोबार पर कड़ी नजर रखेगा।

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