उत्तराखंड में कफ सिरप के बाद पैरासिटामोल सिरप पर भी जांच की गाज, सैंपल जांच को भेजे गए
- ANH News
- 14 अक्टू॰
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उत्तराखंड में बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने एक और सख्त कदम उठाया है। प्रतिबंधित कफ सिरप के खिलाफ प्रदेशभर में जारी कार्रवाई के बीच अब चार साल से कम आयु के बच्चों को दी जाने वाली पैरासिटामोल सिरप की गुणवत्ता पर भी प्रश्न उठने लगे हैं। इसी को गंभीरता से लेते हुए एफडीए ने प्रदेशभर में पैरासिटामोल सिरप की जांच शुरू करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
एफडीए के अपर आयुक्त और राज्य ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि स्वास्थ्य सचिव एवं एफडीए आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है। पूरे राज्य में सभी औषधि निरीक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे बाजार में उपलब्ध बच्चों की पैरासिटामोल सिरप के सैंपल एकत्र करें और उनकी गुणवत्ता की जांच करवाएं। इसी क्रम में रविवार को विभिन्न जिलों से नौ सैंपल एकत्र कर देहरादून स्थित प्रयोगशाला भेजे गए हैं, जहां इनकी वैज्ञानिक जांच की जाएगी।
सरकार द्वारा यह निर्णय उस समय लिया गया है जब हाल के समय में कई राज्यों और देशों में बच्चों की दवाओं, विशेषकर सिरप की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। इन दवाओं में पाए गए खतरनाक तत्वों के चलते कई मासूमों की जान तक जा चुकी है। ऐसे में उत्तराखंड सरकार की यह सतर्कता न केवल समयानुकूल है, बल्कि इससे आमजन में एक सकारात्मक संदेश भी गया है कि बच्चों के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
अधिकारियों ने अभिभावकों से अपील की है कि वे बच्चों को कोई भी दवा, विशेषकर पैरासिटामोल सिरप, बिना डॉक्टर की सलाह के न दें। बाजार में कई बार अनियंत्रित और अप्रमाणित दवाएं भी बिकती हैं, जो बच्चों के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं।
इसी के साथ कफ सिरप के विरुद्ध भी कार्रवाई बदस्तूर जारी है। ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज क्षेत्र में एफडीए की टीम ने रविवार को पांच मेडिकल स्टोरों का औचक निरीक्षण किया। जांच के दौरान एक मेडिकल स्टोर पर कई अनियमितताएं पाई गईं, जिसे मौके पर ही नोटिस जारी कर सात दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। गौरापड़ाव क्षेत्र में भी स्थिति गंभीर पाई गई, जहां एक मेडिकल स्टोर को सील कर दिया गया, जबकि एक अन्य का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा दो और मेडिकल स्टोरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
एफडीए की यह कार्यवाही प्रदेश में औषधियों की गुणवत्ता पर निगरानी बनाए रखने की दिशा में एक ठोस कदम है। यह न केवल औषधि विक्रेताओं को सतर्क करता है, बल्कि आम नागरिकों को भी जागरूक करता है कि वे सिर्फ पंजीकृत और नियमों के अनुरूप दवाओं का ही उपयोग करें। सरकार का उद्देश्य है कि उत्तराखंड में दवा वितरण की प्रणाली पूर्ण रूप से पारदर्शी, सुरक्षित और जनहितैषी बनी रहे।





