उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री बने महावीर बिष्ट
- ANH News
- 7 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 8 सित॰

उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ की प्रांतीय बैठक का आयोजन शनिवार को ऋषिकेश स्थित त्रिवेणी घाट के श्री जयराम संस्कृत महाविद्यालय में किया गया। बैठक का शुभारंभ उत्तराखंड संयुक्त कर्मचारी परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष अरुण कुमार पांडेय तथा शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष मेजर स्वतंत्र मिश्रा ने संयुक्त रूप से किया। यह बैठक शिक्षकों की समस्याओं और संगठनात्मक बदलावों के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण रही।
बैठक की सबसे बड़ी घोषणा के रूप में महावीर बिष्ट को प्रांतीय महामंत्री पद पर नियुक्त किया गया। यह पद पूर्व महामंत्री जगमोहन रावत के निधन के बाद रिक्त हो गया था। महावीर बिष्ट, जो कि वर्तमान में पौड़ी गढ़वाल जनपद के जिलाध्यक्ष हैं, अब संगठन के प्रदेश स्तर पर महामंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियाँ निभाएंगे। इस अवसर पर उन्हें संगठन की ओर से शुभकामनाएँ दी गईं।
इसके अलावा रुद्रप्रयाग के जिलाध्यक्ष सुखदेव सिंह रावत को प्रांतीय उपाध्यक्ष, नैनीताल के पीसी जोशी को प्रांतीय संरक्षक तथा भगत सिंह बिष्ट को पौड़ी जनपद का नया जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इन सभी नियुक्तियों को संघ के पदाधिकारियों और सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।
नवनियुक्त महामंत्री महावीर बिष्ट ने अपने संबोधन में कहा कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की समस्याओं की ओर शासन-प्रशासन लगातार उदासीन रवैया अपना रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि शासन स्तर पर अनेक समस्याएं ऐसी हैं, जिनका समाधान संभव है, लेकिन सरकार का रवैया नकारात्मक रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब वक्त आ गया है जब शिक्षकों को अपनी मांगों के लिए संघर्ष का मार्ग अपनाना होगा।
महावीर बिष्ट ने शिक्षकों से जुड़ी 28 सूत्रीय मांगों को प्रांतीय कार्यकारिणी के समक्ष जोरदार तरीके से रखा। इनमें तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण, चयन वेतनमान में तदर्थ सेवा की गणना, प्रधानाचार्य पदों को शत-प्रतिशत पदोन्नति से भरने, नई पेंशन योजना (NPS) की राशि सीधे प्रान खाते में स्थानांतरित करने, 2005 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल करने तथा 10,000 रुपये मानदेय पाने वाले शिक्षकों को गेस्ट टीचर के रूप में 25,000 रुपये स्वीकृत किए जाने जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से शामिल थे।
बैठक में विभिन्न जनपदों के जिलाध्यक्षों ने भी अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन के समक्ष रखा। प्रांतीय अध्यक्ष मेजर स्वतंत्र मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि संगठन शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए सतत प्रयास कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि संगठन की सक्रियता के चलते ही हाल के वर्षों में अनेक शासनादेश जारी हुए हैं, जिनसे शिक्षकों को लाभ मिला है। उन्होंने संगठन की सभी जिला इकाइयों से सदस्यता शुल्क शीघ्र जमा कराने का भी अनुरोध किया।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उत्तराखंड संयुक्त कर्मचारी परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष अरुण कुमार पांडेय ने भरोसा दिलाया कि अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों से संबंधित मांगों को लेकर वह शीघ्र ही मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से वार्ता कर संगठन के पक्ष को मजबूती से रखेंगे।
बैठक के अंत में स्व. जगमोहन रावत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट का मौन रखा गया। इस दौरान उनके योगदान को स्मरण किया गया और कहा गया कि उन्होंने संगठन के लिए जो कार्य किए, वे सदैव स्मरणीय रहेंगे।
इस अवसर पर प्रदेश के कोने-कोने से आए शिक्षकों और पदाधिकारियों की उपस्थिति रही। इनमें पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष अनिल शर्मा, प्रांतीय सलाहकार ईबी कुमार, भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. प्रदीप त्यागी, प्रांतीय कोषाध्यक्ष जितेन्द्र पुंडीर, उपाध्यक्ष मनोज सैनी, संरक्षक आरपी तिवारी, महाविद्यालय के प्राचार्य विजय जुगलाण, प्रवक्ता कौशलेश गुप्ता, आय-व्यय निरीक्षक यशवंत भंडारी, टिहरी गढ़वाल के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र रावत, जिला मंत्री सुंदरलाल उनियाल, देहरादून जिलाध्यक्ष महावीर सिंह मेहता, हरिद्वार से राजेश सैनी, नैनीताल से शैलेंद्र चौधरी, बागेश्वर से प्रकाश सहित अनेक शिक्षक और प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।
संगठन ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि यदि शिक्षकों की मांगों पर सरकार शीघ्र निर्णय नहीं लेती है, तो भविष्य में आंदोलन की रणनीति अपनाई जा सकती है। बैठक ने एक बार फिर से यह दिखा दिया कि उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध और संगठित है।





