देवभूमि की संस्कृति को मिलेगा नया आयाम, कलाकारों के लिए मुख्यमंत्री की बड़ी घोषणाएं
- ANH News
- 2 घंटे पहले
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देहरादून के निंबूवाला क्षेत्र में आयोजित निनाद महोत्सव प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और कला परंपरा का जीवंत उत्सव बन गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में कलाकारों, साहित्यकारों और संस्कृति प्रेमियों की बड़ी संख्या मौजूद थी। मंच से मुख्यमंत्री ने प्रदेश की कला, संस्कृति और कलाकारों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जिन्हें उपस्थित जनसमूह ने तालियों की गूंज के साथ स्वागत किया।
मुख्यमंत्री धामी ने घोषणा की कि प्रदेश में एक राज्य स्तरीय संग्रहालय तथा कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में एक-एक मंडल स्तरीय संग्रहालय का निर्माण कराया जाएगा। इन संग्रहालयों का उद्देश्य उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर, लोककला, लोकनृत्य, पारंपरिक वाद्ययंत्रों, लोकगीतों और जनजीवन से जुड़ी प्राचीन वस्तुओं का संरक्षण और प्रदर्शन सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान उसकी आत्मा है और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बताया कि हर जिले में एक सभागार (प्रेक्षागृह) बनाया जाएगा, ताकि स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच उपलब्ध हो सके। यह कदम प्रदेश के हर कोने में सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
कार्यक्रम के दौरान कलाकारों के हित में एक बड़ी राहत की घोषणा भी की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि वृद्ध और अस्वस्थ कलाकारों की मासिक पेंशन तीन हजार रुपये से बढ़ाकर छह हजार रुपये कर दी जाएगी। इसके अलावा संस्कृति विभाग में सूचीबद्ध सांस्कृतिक कलाकारों को अब मानदेय “नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर” की तर्ज पर दिया जाएगा, ताकि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाली सुविधाओं के समान लाभ प्राप्त हो सकें।
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि “उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। यह निनाद महोत्सव इस बात का प्रतीक है कि भौगोलिक सीमाएं हमें बांट नहीं सकतीं, क्योंकि हम सब एक साझा विरासत और एक साझा हिमालय की चेतना से जुड़े हैं।” उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के त्याग और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। “यह राज्य हमें अपार संघर्षों और जनसमर्पण से प्राप्त हुआ है, इसलिए नई पीढ़ी को उस संघर्ष की भावना से परिचित कराना हमारा नैतिक दायित्व है।”

मुख्यमंत्री ने उपस्थित कलाकारों से अपील की कि वे अपनी रचनात्मकता के माध्यम से समाज में जागरूकता और एकता का संदेश फैलाएं। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण, कलाकारों के सम्मान और पारंपरिक कलाओं के संवर्धन के लिए निरंतर कार्यरत है।
निनाद महोत्सव का यह आयोजन उत्तराखंड की कला, संस्कृति और लोकजीवन की समृद्ध परंपरा को नए युग में सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।





