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"पर्यावरण संघवाद" की भावना के तहत मिले उचित मुआवजा, 16वें वित्त आयोग की बैठक सीएम धामी की मांगे

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 9 मिनट पहले
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की विशिष्ट भौगोलिक, पर्यावरणीय और आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 16वें वित्त आयोग से विशेष आर्थिक सहायता और नीतिगत रियायतों की मांग की। राज्य सचिवालय में आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया और अन्य सदस्यों के साथ आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री ने पर्यावरणीय संघवाद की भावना को रेखांकित करते हुए वन संरक्षण, जल विद्युत परियोजनाओं, फ्लोटिंग पॉपुलेशन और आपदा प्रबंधन से संबंधित मुद्दों पर राज्य का पक्ष मजबूती से रखा।


वन संरक्षण के लिए मिले पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड का 70 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनों से आच्छादित है। ऐसे में इन वनों के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए राज्य को भारी वित्तीय बोझ वहन करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त वनों में विकास कार्यों पर प्रतिबंध के कारण राज्य को ईकोलॉजिकल सर्विसेज के बदले आर्थिक क्षतिपूर्ति मिलनी चाहिए। उन्होंने कर हस्तांतरण के फार्मूले में वन आच्छादन के लिए निर्धारित भार को वर्तमान से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का सुझाव दिया और वन प्रबंधन हेतु विशेष अनुदान की आवश्यकता पर बल दिया।


जल विद्युत परियोजनाओं के लिए बने मुआवजा मैकेनिज्म

धामी ने जल विद्युत परियोजनाओं से जुड़ी चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किए जाने के बाद लागू हुए विभिन्न प्रतिबंधों ने राज्य की जल विद्युत उत्पादन क्षमता को सीमित कर दिया है। इससे राज्य को न केवल राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि रोजगार के अवसर भी बाधित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने प्रभावित जल विद्युत परियोजनाओं के लिए उचित मुआवजा तंत्र विकसित करने की मांग की।


फ्लोटिंग पॉपुलेशन पर अवस्थापना दबाव, चाहिए विशेष सहायता

मुख्यमंत्री ने बताया कि धार्मिक पर्यटन और अन्य कारणों से उत्तराखंड में हर साल बड़ी संख्या में बाहरी लोग आते हैं, जिन्हें "फ्लोटिंग पॉपुलेशन" कहा जाता है। इनकी वजह से स्वास्थ्य, परिवहन, पेयजल, कचरा प्रबंधन और अन्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ता है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों में अवस्थापना सुविधाएं विकसित करने की लागत अत्यधिक होती है, ऐसे में उन्होंने फ्लोटिंग पॉपुलेशन के लिए विशेष वित्तीय सहायता की मांग की।



आपदाओं से निपटने को सतत सहयोग जरूरी

उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य को भूकंप, भूस्खलन, बादल फटना, हिमस्खलन जैसी आपदाओं से बार-बार जूझना पड़ता है। उन्होंने इन आपदाओं से प्रभावी निपटान, पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्यों के लिए निरंतर और स्थायी आर्थिक सहयोग की आवश्यकता बताई।


राजस्व घाटा नहीं, ‘राजस्व आवश्यकता अनुदान’ हो प्राथमिकता

धामी ने कहा कि राज्य की भौगोलिक परिस्थिति के कारण पूंजीगत खर्च और अनुरक्षण लागत दोनों ही अधिक होते हैं। ऐसे में ‘राजस्व घाटा अनुदान’ के बजाय ‘राजस्व आवश्यकता आधारित अनुदान’ की व्यवस्था अधिक न्यायसंगत होगी। उन्होंने कर हस्तांतरण के मापदंडों में राजकोषीय अनुशासन को भी शामिल करने की वकालत की।


विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति

मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास का ब्यौरा देते हुए बताया कि पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड ने वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार किए हैं। राज्य का वार्षिक बजट अब एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। बेरोजगारी दर में 4.4 प्रतिशत की कमी आई है और प्रति व्यक्ति आय में 11.33 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।


पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष बजट की आवश्यकता

मुख्यमंत्री ने कहा कि औद्योगिक रियायतों की समाप्ति के बाद राज्य को पर्याप्त निवेश नहीं मिल पा रहा है। निजी क्षेत्र की भागीदारी भी शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सीमित है। इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों में बुनियादी सेवाओं के लिए राज्य सरकार को विशेष बजटीय प्रावधान करने पड़ते हैं।


जल संरक्षण हेतु भागीरथ ऐप की पहल

मुख्यमंत्री ने राज्य में जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए की जा रही पहलों की जानकारी देते हुए "भागीरथ ऐप" की चर्चा की। यह ऐप जल संरक्षण प्रयासों में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने जल संरक्षण के लिए विशेष अनुदान की मांग भी वित्त आयोग के समक्ष रखी।


आयोग के अध्यक्ष ने दी सहानुभूति और विचार का आश्वासन

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने उत्तराखंड की वित्तीय और भौगोलिक चुनौतियों को गहराई से समझने की बात कही। उन्होंने आश्वासन दिया कि आयोग उत्तराखंड सहित अन्य पर्वतीय राज्यों की समस्याओं का व्यापक विमर्श के आधार पर समाधान खोजने की दिशा में कार्य करेगा।

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