उत्तराखंड में टोमेटो फ्लू का खतरा, बच्चों में दिख रहे ये लक्षण, जानिए क्या करें
- ANH News
- 8 अक्टू॰
- 2 मिनट पठन

प्रदेश में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर एक बार फिर सतर्कता बढ़ा दी गई है। खासकर हैंड, फुट एंड माउथ डिज़ीज (एचएफएमडी), जिसे आमतौर पर टोमेटो फ्लू के नाम से जाना जाता है, के मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। बच्चों में इस संक्रमण के केस सामने आने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. मनोज शर्मा ने जिले के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों, साथ ही पैथोलॉजी लैबों को सतर्कता बरतने और निगरानी बढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं।
सीएमओ कार्यालय से जारी चेतावनी में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा भी पूर्व में टोमेटो फ्लू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी की जा चुकी है, जिस पर सख्ती से अमल किया जाना आवश्यक है। निर्देशों के अनुसार, अब सभी अस्पतालों में ओपीडी के दौरान बुखार और त्वचा पर चकत्तों वाले मरीजों की नियमित निगरानी की जाएगी। यदि कोई टोमेटो फ्लू का संदिग्ध मरीज मिलता है, तो उसे तुरंत आइसोलेट किया जाएगा, ताकि संक्रमण अन्य बच्चों या परिजनों में न फैले।
इसके साथ ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) की टीम, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO), एएनएम, और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया जाएगा। अस्पतालों और लैबों को निर्देशित किया गया है कि संदिग्ध या पुष्ट मामलों की जानकारी तत्काल सीएमओ कार्यालय को दी जाए, जिसमें विशेष रूप से डॉ. पीयूष अगस्टीन और मोहिनी चौहान को सूचित करना अनिवार्य होगा।
इस विषय में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार और डॉ. विशाल कौशिक ने जानकारी देते हुए बताया कि हैंड, फुट एंड माउथ डिज़ीज का मुख्य कारण एंटरो वायरस (Enterovirus) होते हैं। यह वायरस मुख्यतः छोटे बच्चों को संक्रमित करता है। इसके प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार, गले में खराश या सूखापन, मुंह में दर्दनाक छाले, हाथों-पैरों में लाल रैशेज, और भूख में कमी शामिल हैं।
डॉक्टरों ने बताया कि यह बीमारी आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे संपर्क या दूषित सतहों के माध्यम से फैलती है। इसलिए साफ-सफाई ही इस बीमारी से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है। बच्चों को बार-बार हाथ धोने, संक्रमित बच्चों से दूरी बनाए रखने और उनके इस्तेमाल के सामान को अलग रखने की सलाह दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है, लेकिन सावधानी और जागरूकता बेहद ज़रूरी है। अभिभावकों से अपील की गई है कि वे बच्चों में किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और स्वयं दवा देने से बचें।
टोमेटो फ्लू, हालांकि नाम में भले ही हल्का प्रतीत हो, लेकिन इसके लक्षण और प्रसार की तीव्रता को देखते हुए इस पर गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक है। समय रहते सतर्कता और सही इलाज से इसे रोका जा सकता है।





