top of page

गढ़वाल मंडल में परिवहन महासंघ का चक्काजाम, ठप्प पड़ा यातायात

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 29 अक्टू॰
  • 3 मिनट पठन
ree

ऋषिकेश: गढ़वाल मंडल में बुधवार को परिवहन महासंघ के आह्वान पर व्यावसायिक वाहनों का पूर्ण चक्का जाम किया गया, जिससे पूरे क्षेत्र में जनजीवन प्रभावित रहा। इस आंदोलन को देहरादून सहित पर्वतीय क्षेत्रों की विभिन्न परिवहन यूनियनों का भी व्यापक समर्थन मिला। ऋषिकेश, टिहरी, श्रीनगर, पौड़ी और आसपास के क्षेत्रों में ट्रांसपोर्टरों ने अपने वाहनों का संचालन रोक दिया, जिससे आम जनता को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।


चालक और वाहन स्वामी लंबे समय से अपनी कई मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। इनमें व्यावसायिक वाहनों पर दो वर्ष के लिए टैक्स छूट, हर वर्ष टैक्स में पाँच प्रतिशत की वृद्धि को समाप्त करना, और ऋषिकेश स्थित आरटीओ कार्यालय में बंद पड़े फिटनेस सेंटर को पुनः शुरू करना प्रमुख हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि चारधाम यात्रा सीजन अपेक्षाकृत कमजोर रहने के कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है, इसलिए सरकार को उन्हें राहत देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

ree

कर्णभूमि टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष मदन मोहन नवानी ने बताया कि हड़ताल का निर्णय प्रत्येक चालक पर छोड़ा गया था, जबकि जय माँ जिलासू चंडीका टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह कंडारी ने कहा कि यूनियन ने आंदोलन को पूर्ण समर्थन दिया है। उनका कहना था कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।


नई टिहरी में हड़ताल का व्यापक असर देखा गया। सुबह से ही बस अड्डों और टैक्सी स्टैंडों पर सन्नाटा छाया रहा। जीप, टैक्सी, बस और ट्रक यूनियनों के हड़ताल में शामिल होने से पूरे शहर का परिवहन तंत्र ठप हो गया। यदि कोई निजी या डग्गामार वाहन सड़कों पर दिखाई देता तो यूनियन से जुड़े सदस्य उसे रोक देते थे। स्थानीय निवासियों को आवाजाही में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा, जिससे बाजारों और दफ्तरों में भी भीड़ कम रही।


हड़ताल से पूर्व टिहरी गढ़वाल मोटर ओनर्स यूनियन (टीजीएमओ) कार्यालय में परिवहन महासंघ के बैनर तले ट्रक, डंपर, विक्रम, ऑटो, ई-रिक्शा, बस और टैक्सी यूनियनों के प्रतिनिधियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि सरकार द्वारा बार-बार आश्वासन देने के बावजूद जब तक मांगों का समाधान नहीं किया जाता, तब तक एक दिवसीय चक्का जाम अनिवार्य है।


टीजीएमओ के अध्यक्ष जितेंद्र नेगी ने बताया कि बीते सोमवार को देहरादून में आयोजित बैठक में परिवहन सचिव ने कुछ मांगों पर सहमति जताई थी, परंतु अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। ट्रांसपोर्टर गजेंद्र नेगी ने कहा कि पिछले वर्ष ट्रकों की भार क्षमता बढ़ाने को लेकर आंदोलन किया गया था, उस समय भी 21 दिनों में समस्या का समाधान करने का वादा किया गया था, लेकिन आज तक कोई निर्णय नहीं हुआ। भूपाल सिंह नेगी ने भी यही कहा कि परिवहन विभाग को भेजे गए प्रस्तावों में से किसी भी मांग को स्वीकार नहीं किया गया, जिसके चलते परिवहन समुदाय को मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ा है।


गढ़वाल ट्रक एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश बहुगुणा और बिजेंद्र कंडारी ने सरकार पर ट्रांसपोर्टरों की लगातार अनदेखी का आरोप लगाया। सभी यूनियनों की सहमति से संयोजक संजय शास्त्री ने बुधवार, 29 अक्तूबर को एक दिवसीय चक्का जाम की घोषणा की थी। इस बैठक में प्यारेलाल जुगरान, सुनील कुमार, हेमंत डंग, कृष्णा बडोनी, कुलदीप बहुगुणा, शक्ति सेमवाल, अमर सिंह और पुष्पेंद्र रावत सहित कई यूनियन प्रतिनिधि मौजूद रहे।


हड़ताल के बीच एआरटीओ (प्रशासन) रावत सिंह कटारिया और एआरटीओ (प्रवर्तन) रश्मि पंत भी टीम के साथ टीजीएमओ कार्यालय पहुंचे और ट्रांसपोर्टरों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग स्तर पर उनकी दस सूत्रीय मांगों में से लगभग 80 प्रतिशत पर कार्यवाही मुख्यालय स्तर पर की जा रही है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि आरटीओ कार्यालय परिसर में वाहनों की फिटनेस जांच को पूर्व की भांति पुनः शुरू करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है। साथ ही वाहन स्वामियों को एक वर्ष का टैक्स माफ करने, चालक-परिचालकों को आर्थिक सहायता देने, आपदा के समय अधिग्रहित वाहनों का किराया बढ़ाने और राष्ट्रीय परमिट से अच्छादित वाहनों में एकरूपता लाने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं।


फिर भी, ट्रांसपोर्टरों ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार उनकी मांगों को औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं करती और अधिसूचना जारी नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। आज के चक्का जाम ने यह संदेश साफ कर दिया कि यदि सरकार ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो प्रदेश में परिवहन व्यवस्था पूरी तरह ठप पड़ सकती है।

bottom of page