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उत्तरकाशी धराली में आपदा के रहस्य उजागर करने सर्वे पूरी, रिपोर्ट आने का इंतजार

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 18 अग॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में 5 अगस्त को आई विनाशकारी आपदा के कारणों का पता लगाने के लिए गठित विशेषज्ञ टीम ने प्रभावित क्षेत्र का विस्तृत स्थलीय और हवाई सर्वे कर आवश्यक जानकारी जुटा ली है। अब आपदा के कारणों का खुलासा करने वाली रिपोर्ट के आने का इंतजार किया जा रहा है।


गठित टीम ने किया आपदा प्रभावित क्षेत्र का सर्वेक्षण

उत्तराखंड सरकार द्वारा आपदा के कारणों का पता लगाने हेतु गठित टीम में वाडिया इंस्टीट्यूट, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI), आईआईटी रुड़की, और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान (GSI) के वैज्ञानिक शामिल हैं। टीम ने 14 अगस्त को आपदा प्रभावित धराली सहित आसपास के क्षेत्रों का दौरा किया और विस्तृत अध्ययन प्रारंभ किया।


टीम ने स्थलीय सर्वे के साथ-साथ हवाई सर्वे भी किया, जिसमें धराली के साथ-साथ नजदीकी क्षेत्र हर्षिल में बनी झील का निरीक्षण किया गया। इसके अलावा खीर गंगा नदी के कैचमेंट एरिया को भी हवाई सर्वे के माध्यम से देखा गया, जहां से भारी मात्रा में मलबा धराली की ओर पहुंचा था।


खीर गंगा के कैचमेंट एरिया के कुछ हिस्से रह गए अधूरे निरीक्षण में

हालांकि, खीर गंगा के कैचमेंट एरिया के ऊंचाई वाले हिस्से में भारी बादलों के कारण पूरे क्षेत्र का हवाई सर्वे करना संभव नहीं हो पाया। मलबा धराली तक कितनी दूरी से आया है, इसे जानने के लिए अब सेटेलाइट चित्रों का उपयोग किया जाएगा।


रिपोर्ट आने का इंतजार, वैज्ञानिकों ने रखी चुप्पी

टीम शनिवार शाम को अपने सर्वे का कार्य पूरा कर वापस लौट आई है। अब विशेषज्ञों की रिपोर्ट के तैयार होने का इंतजार है, जो आपदा के कारणों को स्पष्ट कर सकेगी। फिलहाल टीम के वैज्ञानिकों ने आपदा से जुड़ी कोई जानकारी सार्वजनिक करने से इंकार किया है।


सचिव आपदा प्रबंधन का बयान

उत्तराखंड सरकार के आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि “रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही आपदा के कारणों के संबंध में कोई जानकारी साझा की जाएगी।”


धराली आपदा के कारणों की जांच हेतु जुटाई गई यह विशेषज्ञ टीम विस्तृत सर्वे और अध्ययन के बाद जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिससे इस प्राकृतिक आपदा के पीछे के वास्तविक कारणों का पता चलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए उचित रणनीतियाँ बनायी जा सकेंगी।

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