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तोरण से सजाएं दिवाली का द्वार, जानें किन पत्तों से बनेगा सबसे शुभ बांदनवार

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 20 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 21 अक्टू॰

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कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर इस वर्ष सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को दीपों का पर्व दिवाली पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। यह तिथि न केवल मां लक्ष्मी के पूजन के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है, बल्कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटे थे, जिसके स्वागत में नगरवासियों ने दीप जलाए थे। तभी से यह परंपरा हर वर्ष दीपावली के रूप में मनाई जाती है।


दिवाली पर जहां घरों की साफ-सफाई और सजावट का विशेष महत्व होता है, वहीं मुख्य द्वार की सज्जा को अत्यंत शुभ और सौभाग्यदायक माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि मां लक्ष्मी उसी घर में प्रवेश करती हैं जहां स्वच्छता, सुंदरता और सकारात्मकता हो। मुख्य द्वार की सजावट में तोरण या बंधनवार लगाना एक पारंपरिक और शुभ परंपरा है, जो न केवल सौंदर्य बढ़ाता है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता है।


परंपरागत रूप से तोरण अशोक के पत्तों से बनाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि अशोक के पत्तों से बना तोरण नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकता है और वातावरण को शुद्ध बनाए रखता है। लेकिन इस वर्ष आप एक नई रचनात्मकता के साथ तीन तरह के पत्तों से बना विशेष तोरण भी बना सकते हैं, जो न केवल सुंदरता बढ़ाएगा बल्कि शुभता और ऊर्जा का स्तर भी ऊंचा करेगा।


आप दिवाली के दिन पान के पत्तों से भी तोरण बनाकर मुख्य द्वार पर लटका सकते हैं। पान का पत्ता पूजा-पाठ में भी प्रयोग किया जाता है और इसे देवी-देवताओं के पूजन में अत्यंत शुभ माना गया है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


इसके अलावा आम के पत्तों से बना तोरण भी विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। आमतौर पर आम के पत्तों का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा स्थलों की सजावट में होता है। इन पत्तों के साथ आप गेंदे के फूलों की लड़ी भी जोड़ सकते हैं, जिससे तोरण की शोभा और शुभता दोनों में वृद्धि होती है।


इस प्रकार इस दिवाली आप अशोक, पान और आम — इन तीन पवित्र पत्तों से बना तोरण अपने घर के द्वार पर लगा सकते हैं। इन प्राकृतिक तत्वों का उपयोग न केवल परंपरा से जुड़ाव को दर्शाता है, बल्कि घर को ऊर्जा, समृद्धि और शुद्धता से भर देता है। यह छोटा-सा उपाय दिवाली के पर्व को और भी दिव्य बना सकता है।

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