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गीता आश्रम में गूंजे वेद-गीता के स्वर, स्वामी वेदव्यासानंद का 118वां जन्मोत्सव मनाया

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 29 जुल॰
  • 2 मिनट पठन
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ऋषिकेश: नगर पंचायत स्वर्गाश्रम जौंक स्थित श्री गीता आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी वेदव्यासानंद सरस्वती जी महाराज का 118वां जन्मोत्सव बड़े ही श्रद्धा, उत्साह और सांस्कृतिक गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर संपूर्ण आश्रम परिसर भक्तिमय वातावरण में गुंजायमान रहा।


जन्मोत्सव समारोह की शुरुआत गीता पाठ एवं रामायण पाठ से हुई। श्रद्धालुजनों की उपस्थिति में आयोजित हवन-यज्ञ कार्यक्रम ने पूरे वातावरण को पवित्रता से भर दिया। यज्ञ में संतों, छात्रों और श्रद्धालुओं ने सहभागिता कर ब्रह्मलीन स्वामीजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।


इस पावन अवसर पर आश्रम परिसर में भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसका विषय था – "भारतीय संस्कृति की समर्थता"। प्रतियोगिता में नगर के विभिन्न विद्यालयों से आए छात्र-छात्राओं तथा ऋषिकुमारों ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया और अपने विचारों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।


कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच शिवम जोशी ने प्रथम स्थान प्राप्त कर सभी का ध्यान आकर्षित किया। वंश भट्ट एवं ओम डोभाल को संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ, जबकि शिवचरण नौटियाल एवं अक्षत उनियाल तृतीय स्थान पर रहे। यश नारंग एवं साक्षी भट्ट को चतुर्थ स्थान और आदित्य कुमार को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।


प्रतियोगिता के मुख्य निर्णायक मंडल में रामानंत तिवारी, आचार्य संदीप भट्ट, डॉ. विनायक भट्ट, डॉ. शांति मैठाणी एवं आचार्य भोलानाथ सम्मिलित रहे, जिन्होंने प्रतिभागियों के विचारों, प्रस्तुति शैली और विषय की गहराई के आधार पर मूल्यांकन किया।


कार्यक्रम का उद्घाटन श्री गीता आश्रम ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. दीपक गुप्ता, स्वामी सर्वात्मानंद महाराज, गिरीश डोभाल एवं मनीष वर्मा द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। प्रेम प्रसाद उपाध्याय ने भावपूर्ण गीता पाठ किया, जबकि चंद्रमित्र शुक्ल द्वारा श्रद्धापूर्वक रामायण पाठ प्रस्तुत किया गया।


अपने संबोधन में स्वामी सर्वात्मानंद महाराज ने कहा कि धर्म और संस्कृति की रक्षा हेतु वैदिक सनातन परंपरा का संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों को वेद, उपनिषद और गीता जैसे ग्रंथों की मूल भावना को समझने और आत्मसात करने की आवश्यकता है।


समारोह के समापन पर सभी विजयी प्रतिभागियों को श्री गीता आश्रम की ओर से स्मृति चिह्न व प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।

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